बालाकोट के बाद फैसला: 2020 तक ब्रह्मोस से लैस होंगे सुखोई, सीमा पार किए बिना ही दुश्मन होगा ढेर
करतब दिखाते सुखोई विमान (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद केंद्र सरकार ने 40 से ज्यादा सुखोई लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से लैस करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का फैसला किया है। इस रणनीतिक योजना का मकसद भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमताओं को मजबूत करना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड को इस परियोजना को जल्द पूरा करने को कहा गया है ताकि दिसंबर 2020 की निर्धारित समयसीमा से पहले इसे पूरा किया जा सके।
दरअसल, सरकार ने 2016 में विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को 40 से ज्यादा सुखोई विमानों में तैनात करने का फैसला किया था। हालांकि यह परियोजना पर असली काम 2017 के अंत में शुरू हो सका था, तब से इसका कार्यान्वयन बहुत धीमी गति से हुआ है। अधिकारी के मुताबिक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बाद वायुसेना को मजबूत करने की समीक्षा की गई।
यह पाया गया कि परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। राफेल विमानों के बेड़े में शामिल होने, एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम और सुखोई को ब्रह्मोस से लैस करने पर पाकिस्तानी वायुसेना के मुकाबले हमारी वायुसेना को काफी ताकत मिलेगी।
सरकार उठा रही कई कदम
वायुसेना की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। सूत्रों के मुताबिक, एचएएल को खासतौर पर ब्रह्मोस परियोजना में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त मानवश्रम और संसाधनों को लगाने का निर्देश दिया गया है। यह परियोजना पूरी होने के बाद समुद्र और जमीन पर बड़ी रेंज से लक्ष्यों को भेदने की वायुसेना की क्षमता में काफी बढ़ जाएगी। 22 नवंबर, 2017 को ब्रह्मोस के एयर लॉन्च वैरिएंट का सुखोई-30 से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था, जो वायु सेना की सटीक मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए एक मील का पत्थर था।