सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर के घर पर मारे छापे

जांच एजेंसी ने 18 जून, 2019 को गृह मंत्रालय के एक शिकायत के आधार पर लॉयर्स कलेक्टिव के खिलाफ विदेशी अंशदायी (विनियमन) अधिनियम, 2010 का उल्लंघन करने की वजह से आपराधिक मामला दर्ज किया था। मंत्रालय को एनजीओ द्वारा प्राप्त विदेशी सहायता में कई विसंगतियां मिली थीं। आनंद इस संस्था के ट्रस्टी और निदेशक हैं।
एनजीओ के अज्ञात अधिकारियों, अज्ञात निजी व्यक्तियों और लोक सेवकों को भी एफआईआर में आरोपी बनाया गया है। इस संस्था की स्थापना 1981 में हुई थी। एनजीओ की वेबसाइट के अनुसार यह मिशन के साथ वकीलों का एक ऐसा समूह है जो कानून के प्रभावी उपयोग के माध्यम से हाशिए पर रहने वाले समूहों की स्थिति को सशक्त बनाने और बदलने का काम करता है। साथ ही मानवाधिकारों की वकालत, कानूनी सहायता और मुकदमेबाजी में संलग्न है।
सीबीआई छापेमारी पर इंदिरा जयसिंह ने कहा, 'मिस्टर ग्रोवर और मुझे उन मानवाधिकार कार्यों के लिए टारगेट किया जा रहा है जो हमने वर्षों से किए हैं।' दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इंदिरा जयसिंह के ठिकानों पर पड़े छापे की निंदा की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'मैं वरिष्ठ वकील इंदिया जयसिंह और आनंद ग्रोवर के यहां सीबीआई छापों की कड़ी निंदा करता हूं। कानून को अपना काम करने दीजिए लेकिन उन वरिष्ठों को परेशान करना जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कानून और संवैधानिक मूल्यों के लिए लड़ी एक स्पष्ट प्रतिशोध है।'
इससे पहले आठ मई को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें एसआईटी जांच की मांग की गई थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह को उस दौरान विदेशों से फंड मिला जब वह यूपीए कार्यकाल के दौरान 2009-2014 के बीच अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल का संवेदनशील पद संभाल रही थीं। याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इंदिरा, आनंद और उनके एनजीओ को नोटिस भी जारी किया था।