IndSpaceEx: चंद्रयान-2 के बाद अब अंतरिक्ष में युद्धाभ्यास करेगा भारत, ये है मकसद - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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बुधवार, 24 जुलाई 2019

IndSpaceEx: चंद्रयान-2 के बाद अब अंतरिक्ष में युद्धाभ्यास करेगा भारत, ये है मकसद

IndSpaceEx: चंद्रयान-2 के बाद अब अंतरिक्ष में युद्धाभ्यास करेगा भारत, ये है मकसद

एंटी सैटेलाइट मिसाइल
एंटी सैटेलाइट मिसाइल - फोटो : bharat rajneeti
चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के बाद भारत इस हफ्ते देश के पहले सिमुलेटेड (नकली) अंतरिक्ष युद्धाभ्यास आयोजित करने जा रहा है। इस दो दिवसीय युद्धाभ्यास को "IndSpaceEx" नाम दिया गया है। इस दौरान भारतीय सशस्त्र बल धरती से बाहर होने वाले संभावित युद्ध को देखते हुए अपने रणकौशल को निखारेंगे। इसके साथ ही भविष्य में आने वाले खतरों से निपटने के लिए संयुक्त अंतरिक्ष मसौदा भी तैयार किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले त्रिकोणीय सेवा एकीकृत रक्षा स्टाफ इस सप्ताह दो दिवसीय युद्धाभ्यास में अंतरिक्ष में मार करने की अपनी क्षमताओं को जांचेगा। चीनी अंतरिक्ष कार्यक्रम और उसके धरती के बाहर मार करने की क्षमताओं में लगातार वृद्धि करने के कारण भारत को ऐसा युद्धाभ्यास करना आवश्यक हो गया था।

यह अभ्यास व्यापक रूप से टेबल-टॉप वार गेम पर आधारित होगा। जिसमें सैन्य और वैज्ञानिक समुदाय के हितधारक हिस्सा लेंगे लेकिन यह उस गंभीरता को दर्शाता है जिसमें भारत चीन जैसे देशों से अपनी अंतरिक्ष संपत्ति पर संभावित खतरों का मुकाबला करने की आवश्यकता पर विचार कर रहा है। 

ये है मकसद

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अंतरिक्ष का सैन्यीकरण होने के साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है। इस अभ्यास का मुख्य लक्ष्य रक्षा मंत्रालय के एकीकृत रक्षा स्टाफ के अंतरिक्ष और काउंटर-स्पेस क्षमताओं का आकलन करना है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हम अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों की युद्ध के इस अंतिम मोर्चे में रक्षा कर सकते हैं।'

मिशन शक्ति से भारत ने दुनिया को दिखाई थी ताकत

27 मार्च को भारत ने जमीन से मिसाइल दागकर पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किलोमीटर की रेंज पर मौजूद एक सैटेलाइट को मार गिराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था। जिसके बाद भारत ऐसी क्षमता वाला चौथा देश बन गया। परीक्षण में इस्तेमाल किया गया उपग्रह भारत का था और परीक्षण के बाद इसके हजारों टुकड़े हो गए थे।

अंतरिक्ष की सेना बनाने में जुटा भारत

anti-satellite missile india
anti-satellite missile india - फोटो : bharat rajneeti
डीआरडीओ और इसरो किसी भी संभावित खतरे से निपटने की तैयारियों में जुट गए हैं। इसमें डाइरेक्ट एनर्जी वेपन (DEWs) और को-ऑर्बिटल किलर्स को विकसित करने अलावा अपने सैटेलाइट्स को इलेक्ट्रानिक और फिजिकल हमले से बचाने के तरीके शामिल हैं। 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डॉयरेक्ट एनर्जी वेपन, लेजर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स के साथ को ऑर्बिटल किलर्स की तकनीकी को और उन्नत बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार, अगर देश के मुख्य उपग्रहों को निशाना बनाया जाता है तो सशस्त्र बलों की मांग पर मिनी उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना है। डीआरडीओ लंबे समय से विभिन्न प्रकार के डीईडब्ल्यू जैसे उच्च ऊर्जा वाले लेजर और उच्च शक्ति वाले माइक्रोवेव कार्यक्रम चला रहा है, जिससे हवाई और जमीन पर स्थित लक्ष्यों को नष्ट किया जा सके।

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