भारत रत्न : प्रणब मुखर्जी हुए सम्मानित, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मरणोपरांत सम्मान - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

भारत रत्न : प्रणब मुखर्जी हुए सम्मानित, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मरणोपरांत सम्मान

भारत रत्न : प्रणब मुखर्जी हुए सम्मानित, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मरणोपरांत सम्मान

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न प्रदान करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न प्रदान करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद - फोटो : bharat rajneeti

खास बातें

  • जनवरी 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी भारत रत्न की शुरुआत
  • देश के पहले उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मिला था पहला भारत रत्न
  • इस बार तीन लोगों को किया गया सम्मानित, दो को मरणोपरांत दिया गया सम्मान
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज तीन शख्सियतों को भारत रत्न से सम्मानित किया। भारत रत्न प्राप्त करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बधाई दी। नाना जी देशमुख और भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है।

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और गायक भूपेन हजारिका को इस सम्मान से सम्मानित कर दिया गया है। भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका ने उनके स्थान पर सम्मान ग्रहण किया। भूपेन हजारिका असम के बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। हजारिका असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था। 

सामाजिक कार्यकर्ता व वरिष्ठ संघ नेता नानाजी देशमुख का सम्मान दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन वीरेंद्रजीत सिंह ने ग्रहण किया। नानाजी देशमुख को जनसंघ के स्थापकों में से एक माना जाता है। साल 1977  में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग सरकार से बाहर रहकर कार्य करें। 60 साल की उम्र में उन्होंने सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया था। 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। 

बता दें कि यह सम्मान देश में कला, साहित्य, विज्ञान, खेल, सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए दिया जाता है। इस सम्मान की शुरुआत जनवरी 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। पहला भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णण को दिया गया था। 

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