जम्मू-कश्मीर में पाबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकती है सुनवाई, उमर-महबूबा की रिहाई की अपील - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 13 अगस्त 2019

जम्मू-कश्मीर में पाबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकती है सुनवाई, उमर-महबूबा की रिहाई की अपील

जम्मू-कश्मीर में पाबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में आज हो सकती है सुनवाई, उमर-महबूबा की रिहाई की अपील

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सुप्रीम कोर्ट - फोटो : bharat rajneeti

खास बातें

  • घाटी के संवेदनशील इलाकों की प्रमुख मस्जिदों में शांतिपूर्ण ढंग से पढ़ी गई नमाज 
  • सीआरपीएफ की मददगार हेल्पलाइन भी शुरू
  • लालचौक और पुलवामा जैसे संवेदनशील इलाकों में पहुंचे डोभाल
  • अटारी समेत भारत-पाक सीमा पर नहीं बंटी मिठाइयां
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों और प्रतिकूल उपायों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई है। यह याचिका मंगलवार यानी आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई हैं। याचिका कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने दी है।
पूनावाला का कहना है कि वह अनुच्छेद 370 को लेकर अपनी कोई राय नहीं दे रहे हैं, मगर हम यह चाहते हैं कि कश्मीर में फोन लाइन, इंटरनेट और न्यूज चैनल बंद करने जैसी पाबंदियां हटा ली लाएं। उन्होंने याचिका में कोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की रिहाई का आदेश देने की अपील की है। 

जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ पूनावाला की याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका के अलावा कश्मीर टाइम्स के कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है। याचिका में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे पत्रकारों पर से पाबंदी हटाने की मांग की है।

माना जा रहा है कि इस याचिका पर भी तत्काल सुनवाई हो सकती है। इन याचिकाओं के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस भी केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंची है। इसके अलावा इसी मामले में वकील मनोहर लाल शर्मा ने भी एक याचिका दे रखी है।

कश्मीर में अमन-चैन के साथ मनी ईद

जम्मू-कश्मीर समेत देशभर में सोमवार को धूमधाम से बकरीद मनाई गई। अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद केंद्रशासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर में बकरीद के दौरान अमन-चैन और शांति बनी रही। किसी अनचाही घटना के बगैर बेहद संवदेनशील माने जाने वाले जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, बारामूला, बडगाम, बांदीपोरा की प्रमुख मस्जिदों में शांतिपूर्ण ढंग से नमाज पढ़ी गई। नमाज के बाद कश्मीर घाटी में एहतियातन सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

सूत्रों के मुताबिक, बांदीपोरा की दारुल उलूम रहीमिया मस्जिद में 5,000 और जामिया मस्जिद में 2,000 लोगों ने नमाज पढ़ी। बारामूला में करीब 10,000, कुपवाड़ा में 3,500, त्रेहगाम में 3,000, सोपोर में 1,500, कुलगाम के काजीगुंड में 5,500, कैमोह में 6,000, शोपियां में 3,000, पुलवामा में 1,800, अवंतीपोरा में 2,800, अनंतनाग के अच्छाबल में 3,000, गांदरबल में 7,000, चरारेशरीफ में 5,000 और मगाम में 8,000 लोग नमाज के लिए जुटे। जम्मू में भी करीब 5,000 लोग नमाज के लिए एकत्र हुए। नमाज के दौरान पाबंदियों में ढील भी दी गई थी। इससे पहले रविवार को भी ईद के मौके पर खरीदारी के लिए पाबंदियों में ढील दी गई थी।

हालांकि, प्रशासन ने आतंकी हमले जैसी किसी भी अनहोनी से बचने के लिए अलग-अलग इलाकों की स्थानीय मस्जिदों में ईद की नमाज के लिए इजाजत तो दे दी है लेकिन घाटी की बड़ी मस्जिदों में ज्यादा संख्या में लोगों के जमा होने की इजाजत नहीं दी थी। इस बीच, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की मददगार हेल्पलाइन ‘14411’ एक बार फिर कश्मीरियों के लिए शुरू कर दी गई है। इस बीच, घाटी में छिट-पुट प्रदर्शन भी हुए, जिस पर पुलिस ने आसानी से काबू कर लिया। हालांकि, इन प्रदर्शनों में कुछ लोगाें के घायल होने की भी खबरें हैं।

लालचौक और पुलवामा जैसे संवेदनशील इलाकों में पहुंचे डोभाल

कश्मीर दौरे पर आए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल लगातार कश्मीर के अलग-अलग हिस्से में नजर आ रहे हैं। सोमवार को भी वह सुरक्षा स्थिति का जायजा लेते दिखे। डोभाल कश्मीर के बेहद संवेदनशील इलाकों श्रीनगर, सौरा, पंपोर, लाल चौक, हजरतबल, बडगाम और पुलवामा, अंवतीपोरा में लोगों से मिले। 

अटारी समेत भारत-पाक सीमा पर नहीं बंटी मिठाइयां

अटारी समेत अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सोमवार को पारंपरिक तौर पर बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजरों ने मिठाइयों का आदान-प्रदान नहीं किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जम्मू, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में सीमा पर बीएसएफ की मिठाइयां बांटने के न्यौते पर पाकिस्तानी पक्ष ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से एकतरफा कूटनीतिक समझौतों से किनारा कर दिया है, जिसके चलते दोनों देशों में तनाव है।

विपक्ष के विवादित बयान- अय्यर के विवादित बोल, मोदी-शाह ने कश्मीर को फलस्तीन बना दिया

अपने बयानों से कांग्रेस की मिट्टी पलीत करने वाले पार्टी नेता मणिशंकर अय्यर ने फिर विवादित बयान दिया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने पर प्रतिक्रिया देते हुए अय्यर ने एक लेख में कहा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने देश की उत्तरी सीमा पर एक फलस्तीन बना दिया है। ऐसा करने के लिए उन्होंने पहले घाटी में पाकिस्तानी हमले का झूठा प्रपंच रचा, ताकि 35 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती उस जगह पर की जा सके जहां पहले से ही लाखों जवान मौजूद हैं। 

मोदी-शाह ने ये पढ़ाई अपने गुरु बेंजामिन नेतान्याहू और यहूदियों से ली है। दोनों ने इनसे सीखा है कि कश्मीरियों की आजादी, गरिमा और आत्म सम्मान को कैसे रौंदना है? अय्यर ने लिखा है कि इसके बाद हजारों अमरनाथ यात्रियों और सैलानियों को घाटी से जबरन निकाला गया। 400 दुकानदारों को हिरासत में लिया गया।

इन्होंने स्कूल-कॉलेज, दुकानें, पेट्रोल पंप, गैस स्टेशन बंद करवा दिए और गहमागहमी से भरा रहने वाला श्रीनगर और घाटी के दूसरे शहर खाली हो गए। घाटी के माता-पिता देश के दूसरे इलाकों में रहने वाले अपने बच्चों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, संचार के सभी साधन ठप कर दिए गए हैं।

370 इसलिए हटाया क्योंकि वह जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल: चिदंबरम

पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला है। उन्होंने भाजपा की निंदा करते हुए कहा, यदि जम्मू-कश्मीर हिंदू बहुल राज्य होता तो भगवा पार्टी इस राज्य का विशेष दर्जा ‘नहीं छीनती। उन्होंने ऐसा केवल इसलिए किया क्योंकि यह मुस्लिम बहुल है। चिदंबरम ने आरोप लगाया कि भाजपा का दावा है कि कश्मीर में हालात ठीक हैं। अगर भारतीय मीडिया घराने जम्मू-कश्मीर में अशांति की स्थिति को नहीं दर्शाते हैं तो क्या इसका मतलब वहां स्थिरता होता है?’ 

उन्होंने 7 क्षेत्रीय दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने राज्यसभा में भाजपा के कदम के खिलाफ ‘भय’ के कारण सहयोग नहीं किया। चिदंबरम ने कहा, ‘हमें पता है कि लोकसभा में हमारे पास बहुमत नहीं है लेकिन 7 पार्टियों (एआईएडीएमके, वाईएसआरसीपी, टीआरएस, बीजद, आप, तृणमूल कांग्रेस, जदयू ने सहयोग किया होता तो विपक्ष राज्यसभा में बहुमत में होता। यह निराशाजनक है।’  

चिदंबरम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पूर्व गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के बीच कभी भी संघर्ष की स्थिति नहीं थी। पटेल कभी भी आरएसएस के पदाधिकारी नहीं रहे थे। भाजपा हमारे नेताओं को चुरा रही हे। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन चोरी करता है, इतिहास यह नहीं भूलता कि कौन किससे जुड़ा हुआ है।

माकपा बोली, कश्मीर में घरों में कैद हैं लोग

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘ईद खुशी और जश्न का पर्व है। हम कश्मीर की जनता के साथ हैं जिन्हें उनके ही घरों में कैद किया गया है। हम अब भी नहीं जानते कि कश्मीर में हमारे कॉमरेड कहां और कैसे हैं।’ हमारा देश भाषाओं, धर्मों, संस्कृतियों और विचारों की विविधताओं वाला देश है और यही हमारी ताकत है। अलोकतांत्रिक तरीके से और बलपूर्वक जम्मू-कश्मीर के दर्जे में बदलाव का असर विशेष दर्जे वाले अन्य राज्यों में महसूस किया जाएगा। हमें भूलना नहीं चाहिए कि ऐसे अधिकतर राज्य भारत की सीमा पर स्थित हैं।’

370 को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं चिदंबरम: भाजपा

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने चिदंबरम के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, बीते 70 साल से कांग्रेस हर चीज में हिंदू-मुस्लिम नजरिया अपनाती रही है। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को वह सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं। चिदंबरम का आरोप बेबुनियाद है। यह फैसला कश्मीर के विकास के लिए लिया गया है। राजनीतिक हितों के लिए राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, दिग्विजय सिंह समेत अन्य कांग्रेस नेता भी ऐसे मामलों में विवाद पैदा करना चाहते हैं। 

वहीं, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चिदंबरम के बयान पर निशाना साधते हुए कहा,  कांग्रेस नेता ये कैसी बात कर रहे हैं? उनका बयान भड़काऊ और गैर जिम्मेदाराना है। उनसे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी। हम उनके बयान की निंदा करते है। अनुच्छेद-370 हटाया जाना जम्मू-कश्मीर और देश हित में है। अनुच्छेद-370 की आड़ में वहां के मुसलमानों के साथ भी नाइंसाफी हो रही थी।

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