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बुधवार, 17 अगस्त 2022

क्यों और कैसे रखा जाता है जन्माष्टमी व्रत,जानिए पूरी विधि और महत्व


हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की पूजा सभी संकटों से निकालकर सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान देने वाली मानी गई है। पलक झपकते ही सभी कामनाओं को पूरा करने वाले कृष्ण की पूजा के लिए भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अत्यंत ही शुभ माना गया है क्योंकि द्वापर युग में इसी पावन तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर जन्म लिया था। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व इस साल 18 और 19 अगस्त को पड़ रहा है। गुरुवार को साधु -संतों द्वारा ये व्रत रखा जायेगा और शुक्रवार को अर्धरात्रि में वैष्णव सम्प्रदाय यानि हम सभी जन्माष्टमी मनाएंगे। आइए कान्हा के जन्मोत्सव वाले दिन रखे जाने वाले व्रत की विधि और उसका धार्मिक महत्व जानते हैं।


श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि
जन्माष्टमी की रात को भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करके तन और मन से खुद को पवित्र कर लें, फिर इसके बाद अपने एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर अपने लड्डू गोपाल को एक थाल में रखकर दूध, दही, शहद, घी, शक्कर आदि से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें साफ कपड़े से पोंछ कर उन्हें वस्त्र, आभूषण आदि पहनाएं, जन्माष्टमी पर कान्हा को पीले चंदन या फिर केसर का तिलक जरूर लगाएं। साथ ही साथ उन्हें मोर के मुकुट और बांसुरी जरूर अर्पित करें।


इसके बाद कान्हा को पुष्प, फल, पंजीरी,चरणामृत आदि अर्पित करें। भगवान श्री कृष्ण की पूजा में जो कुछ भी प्रसाद अर्पित करें उसमें तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का विधि-विधान से जप करें। मान्यता है कि जन्माष्टमी की रात को भक्ति-भाव के साथ श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ और भजन का कीर्तन करने पर भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बरसती है।


जन्माष्टमी व्रत रखने के बड़े लाभ

हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव वाले दिन रखे जाने वाले व्रत की अपार महिमा बताई गई है, जिसे विधि-विधान से करने पर व्यक्ति की सभी कामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं। मान्यता है कि जन्माष्टमी के व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे जीवन से जुड़े सभी सुख प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह व्रत व्यक्ति को अकाल मृत्यु और पाप कर्मों से बचाते हुए मोक्ष प्रदान करता है। जन्माष्टमी का व्रत करने पर व्यक्ति को हजार एकादशी के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।

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