India news :- काशी नरेश विभूति नारायण की बेटी ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

India news :- काशी नरेश विभूति नारायण की बेटी ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

नई दिल्ली, 08 सितंबर (हि.स.)। काशी नरेश विभूति नारायण सिंह की बेटी कुमारी कृष्ण प्रिया ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि काशी रियासत के पूर्व शासक काशी में सभी मंदिरों के मुख्य संरक्षक थे, इसलिए काशी शाही परिवार की तरफ से उनके पास इस अधिनियम को चुनौती देने का अधिकार है।

वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कोर्ट 9 सितंबर को सुनवाई करने वाला है। एक याचिका वकील करुणेश कुमार शुक्ला ने दायर की है। करुणेश कुमार शुक्ला अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर में पुजारी भी रह चुके हैं। करुणेश शुक्ला कृष्ण जन्मभूमि मामले में मुख्य याचिकाकर्ता हैं और उन्होंने राम जन्मभूमि मामले में भी मुख्य भूमिका निभा चुके हैं। करुणेश के पहले प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। एक याचिका 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़नेवाले रिटायर्ड कर्नल अनिल कबोत्रा ने याचिका दाखिल की है।

याचिका में कहा गया है कि यह कानून विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा अवैध तरीके से पौराणिक पूजा, तीर्थस्थलों पर कब्जा करने को कानूनी दर्जा देता है। याचिका में कहा गया है कि हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने से रोकता है। इसके पहले मथुरा के धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर ने भी याचिका दायर कर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को चुनौती दी है। 26 मई को वकील रुद्र विक्रम सिंह ने भी याचिका दायर कर कहा है कि 15 अगस्त 1947 की मनमानी कटऑफ तारीख तय कर अवैध निर्माण को वैधता दी गई। याचिका में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 2, 3 और 4 असंवैधानिक है। ये धाराएं संविधान की धारा 14, 15, 21, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करती हैं। ये धाराएं धर्मनिरपेक्षता पर चोट पहुंचाती हैं जो संविधान के प्रस्तावना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

25 मई को वाराणसी के स्वामी जितेंद्रानंद ने याचिका दायर कर इस एक्ट को चुनौती दी है। स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा है कि सरकार को किसी समुदाय से लगाव या द्वेष नहीं रखना चाहिए। लेकिन उसने हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख को अपना हक मांगने से रोकने का कानून बनाया है।

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली एक याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी याचिका दायर की है। 12 मार्च 2021 को मामले में अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी हुआ था। याचिका में कहा गया है कि 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट धार्मिक स्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली बनाए रखने को कहता है। यह हिंदू , सिख , बौद्ध और जैन समुदाय को अपने पवित्र स्थलों पर पूजा करने से रोकता है। इस एक्ट में अयोध्या को छोड़कर देश में बाकी धार्मिक स्थलों का स्वरूप वैसा ही बनाए रखने का प्रावधान है, जैसा 15 अगस्त 1947 को था।

हिंदू पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने भी इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका का विरोध करते हुए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। एक याचिका सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दायर की है।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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