CBI प्रमुख के पद से हटाए गए Alok Verma पर क्या कहती है CVC Report? - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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सोमवार, 14 जनवरी 2019

CBI प्रमुख के पद से हटाए गए Alok Verma पर क्या कहती है CVC Report?

CBI प्रमुख के पद से हटाए गए Alok Verma पर क्या कहती है CVC Report? 



आलोक वर्मा
आलोक वर्मा 
केंद्रीय जांच आयोग (सीबीआई) के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की रिपोर्ट एक तरह से दोनों तरह की बात करती है। यानी रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवीसी जांच में वर्मा के खिलाफ लगे चार आरोपों की पुष्टि हुई है, वहीं अन्य तीन आरोप निराधार पाए गए हैं।

वर्मा पर लगा एक आरोप आंशिक रूप से ठीक पाया गया है, लेकिन समय की कमी के कारण उसकी जांच पूरी नहीं हो पाई।

बता दें आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच चले संघर्ष ने सीबीआई की विश्वसनियता पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। जिसके बाद सरकार ने 23 और 24 अक्तूबर की रात को उन्हें छुट्टी पर भेज दिया। वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जिसके बाद 8 जनवरी को इस पद पर वर्मा को बहाल किया गया।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक में वर्मा को पद से हटाने का फैसला किया गया। चयन समिति ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दो दिन बाद लिया। तीन सदस्यीय समिति में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर न्यायमूर्ति ए के सीकरी भी शामिल थे। वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया। पैनल ने वर्मा को ही एजेंसी से बाहर कर दिया।

सीवीसी की रिपोर्ट इस मामले में बेहद अहम है। इस रिपोर्ट में कुछ आरोपों की पुष्टि हुई है और कुछ में आगे की जांच की सिफारिश की गई है। वहीं कई आरोप ऐसे भी हैं जो गलत पाए गए हैं। चलिए जानते हैं वर्मा पर लगे आरोप और रिपोर्ट में आए निष्कर्ष-

1. सीवीसी को कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला जिससे ये साबित हो सके कि वर्मा को हैदराबाद के बिजनेसमैन सना सतीश बाबू ने घूस दी थी। इस मामले में सांयोगिक साक्ष्य पाए जाने पर जांच की सिफारिश की गई है। सीवीसी ने रिपोर्ट में कहा है कि मामले से जुड़े अधिकारियों की सिफारिश के बावजूद भी वर्मा ने बाबू की गिरफ्तारी को खारिज कर दिया। इस मामले में अस्थाना ने वर्मा पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने बाबू को मीट व्यापारी मुएन कुरैशी के मामले से बचाने के लिए 2 करोड़ रुपये लिए थे।

2. सीवीसी जांच में पता चला है कि आईआरसीटीसी भ्रष्टाचार मामले में वर्मा ने मख्य आरोपी का नाम जानबूझकर बाहर रखा। यह भी आरोप है कि होटल बनाने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किए गए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक ही कंपनी कॉन्ट्रेक्ट पा सके। इसमें आरोप है कि वर्मा ने मामले के आरोपियों से जुड़े पटना परिसर की खोजों को गलत बताया था।

3. वर्मा पर लगा ये आरोप सही पाया गया है कि उन्होंने सीबीआई में कम से कम दो दागी अफसरों को भर्ती कराने की कोशिश की थी। सीवीसी ने जांच में पाया कि इसपर वर्मा ने जो स्पष्टीकरण दिए थे वह ठोस नहीं थे।

5. वर्मा पर एक आरोप ये भी था कि वर्मा ने गाय की तस्करी करने वाले की मदद करने की कोशिश की थी, जिसे सीबीआई ने हिरासत में लिया था, गलत पाया गया है।

6. वर्मा पर लगा आरोप कि उन्होंने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के पद पर रहते हुए एक आदमी की 500 सोने के सिक्कों की तस्करी में मदद करने की कोशिश की थी, ये आरोप भी गलत पाया गया है। अस्थाना ने कहा था कि इस मामले में जांच पूरी होने की आवश्यकता है ताकि पता चल सके कि उस आदमी की मदद किसने की थी। सीवीसी ने अपनी जांच में पाया है कि इस मामले में वर्मा के शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला है। लेकिन एक लेटर की ओर इशारा किया है जिसे सीबीआई ने दिल्ली पुलिस को दिया था। जिसमें किसी छापेमारी के रिकॉर्ड के बारे में कहा गया और लेटर को नष्ट करने का अनुरोध भी किया गया। इस मामले में दोबारा से जांच शुरू करने की सिफारिश की गई है।

7. वर्मा पर देश छोड़कर भागे दो व्यापारियों, जिन्हें सीबीआई और ईडी पकड़ने की कोशिश में है, को लेकर लगाया गया आरोप भी गलत पाया गया। दोनों का कोयला ब्लॉक आवंटन मामले और 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में शामिल होने का संदेह है।

8. सीवीसी ने उस आरोप की भी पुष्टि नहीं की है, जिसमें कहा गया है कि वर्मा और उनके एक डिप्टी ने हरियाणा के भूमि अधिग्रहण मामले में घूस ली थी। इस मामले की जांच भी सीबीआई द्वारा ही की जा रही है।


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