High Court जज पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला जज को पुनर्नियुक्ति नहीं
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
हाईकोर्ट के जज पर यौन शोषण के आरोप लगाकर इस्तीफा देने वाली महिला न्यायिक अधिकारी को दोबारा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। यह बात महिला जज की अपील पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की तरफ से भेजे गए जवाब में कही गई। महिला जज की तरफ से आरोपी बनाए गए हाई कोर्ट जज को राज्य सभा की तरफ से गठित जांच पैनल ने दिसंबर, 2017 में क्लीन चिट दे दी थी।
महिला जज ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 11 जनवरी, 2017 को जारी किए गए एक प्रशासनिक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस प्रशासनिक आदेश के जरिए हाईकोर्ट ने महिला जज की उस याचिका को ठुकरा दिया था, जिसमें उसने मध्य प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा में बहाल किए जाने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ के सामने महिला जज का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंग ने रखा। सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। पीठ ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय देते हुए मामले में दो सप्ताह बाद निर्णायक सुनवाई किए जाने का आदेश सुनाया।
58 सांसदों ने किया था महाभियोग का समर्थन
बता दें कि महिला जज की तरफ से यौन शोषण जैसा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद राज्य सभा में हाईकोर्ट जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश हुआ था, जिसे 58 सांसदों ने अपना समर्थन दिया था। इसके बाद राज्य सभा की तरफ से अप्रैल, 2015 में सुप्रीम कोर्ट जज आर. भानुमति, बांबे हाई कोर्ट की तत्कालीन जज जस्टिस मंजुला चेल्लूर और ज्यूरी सदस्य केके वेणुगोपाल (अब देश के अटार्नी जनरल) का तीन सदस्यीय जांच पैनल बनाया गया था, जिसने हाईकोर्ट जज को क्लीन चिट दे दी थी। पैनल की रिपोर्ट राज्यसभा में 15 दिसंबर, 2017 को पेश की गई थी।