Priyanka Gandhi दोहराएंगी 1999 का रायबरेली वाला जादू? पूर्वांचल ने दिए 9 PM, अब क्या है चुनौती - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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गुरुवार, 24 जनवरी 2019

Priyanka Gandhi दोहराएंगी 1999 का रायबरेली वाला जादू? पूर्वांचल ने दिए 9 PM, अब क्या है चुनौती

Priyanka Gandhi दोहराएंगी 1999 का रायबरेली वाला जादू? पूर्वांचल ने दिए 9 PM, अब क्या है चुनौती


Priyanka Gandhi- Indira Gandhi
Priyanka Gandhi- Indira Gandhi

खास बातें

  • प्रियंका उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 33 को देखेंगी।
  • 2009 में कांग्रेस की पूर्वांचल में 15 और पूरे प्रदेश में 22 सीटें थीं।
पार्टी कार्यकर्ताओं की लंबी मांग को पूरा करते हुए आखिरकार कांग्रेस ने प्रियंका को कमान दे दी है। प्रियंका की एंट्री उस वक्त में हुई है जब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने तीन विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है। प्रियंका गांधी-नेहरू खानदान की 12वीं सदस्य है जिसने राजनीति में कदम रखा है। उनकी एंट्री से पार्टी कार्यकर्ताओं  में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
अटकलों का बाजार गर्म है और कहा जा रहा है कि अब राहुल और प्रियंका के सक्रीय राजनीति में आने के बाद सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी और मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगी।  कयास लगाए जा रहें हैं कि प्रियंका गांधी उनकी जगह रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। 

12वीं सदस्य ने मारी धमाकेदार एंट्री

आजादी से लेकर अबतक नेहरू-गांधी परिवार के लोगों ने देश की राजनीति पर छाप छोड़ी है। मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, विजयलक्ष्मी, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, मेनका गांधी, राहुल गांधी, वरुण गांधी के बाद गांधी-नेहरू परिवार से प्रियंका ने 12वें सदस्य के तौर पर राजनीति में एंट्री की है। प्रियंका को पूर्वांचल का कमान उनके स्वाभाव की तरह ही सादगी से की गई।

पर्दे के पीछे रहकर किया काम

पार्टी में बिना कोई पद हासिल किए भी प्रियंका गांधी पार्टी के लिए काम करती रही हैं। वह चुनाव के दौरान अक्सर पार्टी के लिए प्रचार में कमान संभाल चुकी हैं। राजस्थान और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के चयन में उनकी बड़ी भूमिका बताई जाती है। एक नजर प्रियंका के योगदान पर-

1989: बताया जाता है कि प्रियंका ने सबसे पहले अपने पिता राजीव गांधी के साथ प्रचार में हिस्सा लिया था। 

जनवरी 1998: श्रीपेरंबदूर में अपनी मां सोनिया गांधी का साथ देते हुए उन्होंने एक छोटा भाषण भी दिया था। 

अक्टूबर 1999: लोकसभा चुनावों में अपने मित्र और कांग्रेस उम्मीदवार सतीश शर्मा के लिए प्रचार करते हुए उन्होंने भाजपा के अरुण नेहरू के लिए कहा था कि क्या आप उसको वोट दोगे जिसने मेरे पिता के पीठ में छुरा भोंका। राजीव गांधी के कजन अरुण नेहरू ने कांग्रेस का साथ छोड़कर 1980 में वीपी सिंह के जन मोर्चा का दामन थाम लिया था। 

मई 2004: लोकसभा चुनाव में अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के लिए रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार की कमान संभाली।

अप्रैल 2009: चुनाव प्रचार के दौरान तब के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देते हुए प्रियंका ने कहा था कि क्या मैं आपको उम्रदराज लगती हूं? मोदी ने कांग्रेस को उम्रदराज पार्टी कहा था। इसके अलावा उन्होंने अपने चचेरे भाई वरुण गांधी को विवादित बयान देने के बाद गीते पढ़ने की सलाह दी थी।

2014: भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी के बीच नीच राजनीति को लेकर जुबानी जंग छिड़ी। बाद में नरेंद्र मोदी ने खुद को पिछड़ी जाति का बताया था।

2017: उत्तरप्रदेश में सपा के साथ गठबंधन करने और सीटों के बंटवारें में अहम भूमिका निभाई।

2018: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र का आयोजन देखा। इसमें राहुल को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर मुहर लगी थी।

2019: पार्टी ने महासचिव और उत्तरप्रदेश पूर्व का प्रभारी नियुक्त किया।

पूर्वांचल में भरेगा कांग्रेस का आंचल ?

प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी - फोटो : पीटीआई
प्रियंका को उत्तरप्रदेश के उस हिस्से का प्रभारी बनाया गया है जहां से आठ लोग प्रधानमंत्री बन चुके हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वाराणसी से सांसद है। योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर से पांच बार के सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस राज्य में बुरे दौर से गुजर रही है। यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी को महज 7 सीटें और 6.25% वोट ही मिले थे।

लोकसभा चुनाव में भी पार्टी बस रायबरेली और अमेठी की सीट ही जीत पाई थी। राज्य में भाजपा की सरकार है और चुनावी रैलियों के दौरान प्रियंका ही निशाने पर होंगी। प्रियंका के सामने न केवल इन हमलों से पार पाने की चुनौती होगी बल्कि उन्हें मोदी और योगी को उनके ही गढ़ में घेरना होगा।

यूपी की प्रियंका 80 सीटों में से 33 देखेंगी। मोदी की सीट वाराणसी, योगी का गढ़ गोरखपुर, मुलायम की सीट आजमगढ़, ये सब प्रियंका के कार्यक्षेत्र में आएंगी। 2009 में कांग्रेस की पूर्वांचल में 15 और पूरे प्रदेश में 22 सीटें थीं। 2009 में जो वोट प्रतिशत 19 फीसदी था वह 2014 में गिरकर 9% हो गया और सीटें सिर्फ दो गई।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए ने 42.63% हासिल करके 73 सीटों पर जीत हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव में  39.67% हासिल करके 312 सीटें जीती हैं। पार्टी का वोट प्रतिशत कांग्रेस से लगभग सात गुना ज्यादा है।

सपा-बसपा ने पकड़ी कांग्रेस से अलग राह

Priyanka Gandhi- Rahul Gandhi
Priyanka Gandhi- Rahul Gandhi
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने 38-38 सीटों पर लड़ने का एलान करके कांग्रेस के लिए दो सीटें छोड़ी थी। विधानसभा चुनावों के आधार पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटें ही जीतती दिख रही है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान इशारों में हाथ आने की बात कही।

पिछले विधानसभा चुनाव में 58 सीटों पर सपा, बसपा, कांग्रेस का संयुक्त वोट शेयर भाजपा से ज्यादा था। ऐसे में साथ लड़ने पर यह पार्टियां इस बार 58 सीटें जीत सकती हैं। अभी कांग्रेस पार्टी के पास लोकसभा की 45 सीटें हैं। नेहरू भवन में प्रियंका का दफ्तर भी वहीं बनाया जा रहा है जहां कभी इंदिरा गांधी बैठा करती थीं।

हर बार नारी शक्ति ने पार्टी को उबारा

इंदिरा गांधी- सोनिया गांधी
इंदिरा गांधी- सोनिया गांधी
1930 में इंदिरा गांधी की पॉलिटिक्स में एंट्री हुई और वह इंडियन लीग की सदस्य बनीं। 1951 में पिता नेहरू और पति फिरोज के लिए प्रचार किया। 1966 में वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उस वक्त कांग्रेस की 283 सीटें थीं। इंदिरा गांधी चार बार देश की प्रधानमंत्री बनीं।

1997 में नरसिम्हा राव की हार के बाद सोनिया गांधी की पार्टी में आधिकारिक एंट्री हुई। उस वक्त लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के 140 सदस्य थें। 1998 में उन्हें पार्टी का ध्यक्ष बनाया गया और 1999 में उन्होंने चुनाव जीता। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने शाइनिंग इंडिया कैंपेन को फीका करते हुए 2004 और 2009 में लगातार दो बार सरकार बनाई।

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