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सोमवार, 8 अप्रैल 2019

जानिए, BJP के 2014 घोषणापत्र के कितने वादे अंजाम तक पहुंचे

जानिए, BJP के 2014 घोषणापत्र के कितने वादे अंजाम तक पहुंचे


2014 में भाजपा सत्ता में नहीं थी और तब उनके वादों पर देश की जनता ने बहुमत से जिताया था।
2014 में भाजपा सत्ता में नहीं थी और तब उनके वादों पर देश की जनता ने बहुमत से जिताया था।
2019 महासंग्राम के लिए भाजपा का घोषणापत्र जारी होने के दिन ये जान लेना भी दिलचस्प होगा कि साल 2014 के घोषणापत्र का क्या हुआ। क्या वादे किये थे और उसमें से कितने पूरे हुए। 2014 के घोषणापत्र को मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में तैयार किया गया था। इसके कवर पेज पर उस समय के सभी शीर्ष भाजपा नेताओं को जगह दी गई थी। भगवा रंग में रंगे कवर पेज पर कमल बना था और उसके नीचे पार्टी की विशेष टैग लाइन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ लिखा हुआ था। उसके ठीक नीचे पतले अक्षरों में नरेंद्र मोदी की प्रिय वह विशेष लाइन लिखी थी जो पिछले पांच सालों में उनकी पहचान बन गई थी- ‘सबका साथ, सबका विकास’।अगर चेहरों की बात करें तो कवर पेज पर बड़ों को सम्मान और वर्तमान का साथ कवर पेज पर दिख जाता है। 52 पेज के पार्टी मेनिफेस्टो के कवरपेज पर कमल निशान के बाएं ऊपर से नीचे के क्रम में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को जगह दी गई थी। वहीं कवर पेज के नीचे सबसे बड़े चेहरे के रूप में मोदी दिख रहे थे तो उनके दाहिने अरुण जेटली, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे सिंधिया दिख रहे थे तो बायीं ओर सुषमा स्वराज, रमन सिंह और मनोहर पर्रिकर थे. यानी भाजपा की पूरी वर्तमान पीढ़ी सामने थी

दूसरे पेज पर केवल पार्टी के संस्थापकों श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय को जगह देकर उन्हें सम्मान दिया गया था। 

मुद्दों में महंगाई सबसे पहले
मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बन गई थी। यही कारण है कि भाजपा के घोषणा पत्र में सबसे पहले महंगाई को ही मुद्दा बनाया गया था। इसके बाद क्रम से रोजगार, भ्रष्टाचार और काले धन को मुद्दा बनाया गया था। महंगाई रोकने के लिए अनाजों के अवैध भंडारण को रोकने और कालाबाजारी रोकने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने की बात कही गई थी। भाजपा सरकार महंगाई पर लगाम लगाने में कामयाब रही, यह माना जा सकता है। पूरे पांच साल में खाद्यान्न की कीमतें काबू में रहीं। हालांकि, कीमतों को काबू में रखने के लिए एक विशेष फंड की बात पार्टी ने पूरी नहीं की। लेकिन ई-मंडियों से वस्तुओं की बिक्री की शुरुआत सरकार की बड़ी उपलब्धी रही जो उसके वायदे पूरे देश में एक ‘राष्ट्रीय कृषि बाज़ार’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है।

रोजगार बढ़ाने का वादा

भाजपा ने 2014 में यूपीए सरकार को महंगाई के साथ-साथ रोजगार के मोर्चे पर भी फेल बताया था। देश में रोजगार बढ़ाने के लिए उसने श्रम आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कही थी। इसके लिए पार्टी ने सबसे ज्यादा रोजगार दिलाने वाले क्षेत्रों टेक्सटाइल और पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही थी। टेक्सटाइल के क्षेत्र में विकास ठीक-ठीक रहा है। लेकिन पर्यटन के क्षेत्र में सरकार ने खूब काम किये हैं। वायदे के मुताबिक़ उसने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई पुराने स्थलों का निर्माण, जीर्णोद्धार कराया है। अयोध्या, राम की मूर्ति, सरदार पटेल की मूर्ति और कुंभ के जरिये उसने धार्मिक पर्यटन को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने का काम किया है।


युवाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की बात कही गई थी जो उसने पिछले पांच सालों में मुद्रा लोन, कौशल विकास योजना, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये पूरा करने की कोशिश की है। सरकार का दावा है कि उसने मुद्रा लोन बांटे हैं जिससे युवाओं ने स्वरोजगार शुरू किया है और इससे उन्हें स्वयं भी रोजगार मिला है, और वे दूसरों को भी नौकरी देने में सक्षम हुए हैं। हालांकि, हाल ही में यह बात सामने आई है कि बेरोजगारी पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा रही। अगर इस मुद्दे पर युवाओं ने वोट डाले तो युवाओं के बल पर सत्र में वापसी का ख्वाहिश रखने वाली  सरकार को मुश्किल हो सकती है। 

 

भ्रष्टाचार पर वार

मनमोहन सिंह सरकार पर उसके दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। भाजपा ने इसे अपना प्रमुख हथियार बनाया था। पार्टी ने वायदा किया था कि वह ऐसा सिस्टम बनाने का प्रयास करेगी जिससे काले धन के निर्माण में कोई सफल न हो सके। पिछले काले धन को भी देश में वापस लाने का वायदा किया था।

नोटबंदी के जरिये भाजपा ने कालेधन पर अंकुश लगाने का बड़ा प्रयास किया था। हालांकि, इसकी सफलता पर लोगों की राय बंटी हुई है। सरकार ने बड़े उद्यमियों पर अंकुश लगाने और भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने की भी कोशिश की है। इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को फेल बताया है। 

पार्टी का मानना था कि यूपीए सरकार अहम मुद्दों पर विशेष स्थितियों में निर्णय लेने में असफल रहती थी। वहीं, नरेंद्र मोदी सरकार को अब वह निर्णय लेने वाली सरकार और कड़े फैसले लेने वाली सरकार बता रही है। इन मनोवैज्ञानिक मुद्दों पर कहा जा सकता है कि वह जनता के बीच जीत हासिल करती दिख सकती है क्योंकि मोदी सरकार ने रक्षा के साथ-साथ विकास के अहम मुद्दों पर तत्काल निर्णय लेने का जोखिम उठाया था। 

नार्थ ईस्ट पर सफल तो जम्मू-कश्मीर में फेल

भाजपा ने अपने मेनीफेस्टो में पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी जबकि कश्मीर में शांत माहौल बनाना उसने अपनी प्राथमिकता बताया था। अगर सरकार के पिछले पांच साल के कामकाज को देखें तो पूवोत्तर के मामलों में वह जनता का दिल जीतने में बहुत सफल साबित हुई। असम, त्रिपुरा सहित कई राज्यों में उसने पहली बार न सिर्फ जीत हासिल कर सरकार बनाई, बल्कि उसके विकास को भी पार्टी ने नई ऊंचाई पर पहुँचाया। यही कारण है कि इस बार वह पूर्वोत्तर में अपने लिए बड़ी जीत मिलती देख रही है। 

हालांकि, स्वयं प्रधानमंत्री ने भी हाल ही में एक इंटरव्यू में यह स्वीकार किया है कि जम्मू-कश्मीर में वे अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर सके। कश्मीर में पत्थरबाजी सरकार के लिए परेशानी का सबब बना रहा। सुरक्षा बलों पर हमलों ने भी उसकी साख कमजोर की। हालांकि सरकार के दावे के मुताबिक़ उसने आतंकियों पर जबर्दस्त कार्रवाई की है, बड़े आतंकियों को मार गिराया है और अलगाववादियों पर उसने कड़ी कार्रवाई की है। पार्टी इसे अपनी सफलता बता रही है। हालांकि, वायदे के मुताबिक़ कश्मीरी पंडितों की वापसी कराने में वह असफल साबित हुई है।

 गुड गवर्नेंस – ई गवर्नेंस  

भारत सरकार में वित्त मंत्री और भाजपा की 2019 कि घोषणापत्र समिति के मुखिया अरुण जेटली का कहना है कि सरकार ने तकनीक को बढ़ावा देकर कई अहम जगहों पर से भ्रष्टाचार ख़त्म करने में सफलता पाई है। स्वयं प्रधानमंत्री ने डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देकर कई क्षेत्रों में इसे आगे रखने की कोशिश की है। डिजिटल माध्यमों से भाजपा ने सिस्टम में सुधार का वायदा किया था जो कई क्षेत्रों में सफल होता दिख रहा है। गाँवों को ई ग्राम से विश्व ग्राम बनाने की दिशा में भी कुछ काम हुआ है और गाँवों तक इंटरनेट की पहुंच में बढ़ोतरी हुई है। 

इस बात में कोई शक नहीं है कि जगह-जगह पर डिजिटल माध्यमों का प्रयोग बढ़ा है. लेकिन इसके बाद भी सच्चाई यह है कि कैश लेनदेन में तेज बढ़ोतरी हुई है जिससे उसके नोटबंदी के फायदे सवालों के घेरे में खड़े हो गये हैं। PPP माध्यम से सृजन क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों में आई बढ़ोतरी को भाजपा अपनी सफलता बता सकती है। 

सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाया

भाजपा का दावा है कि एससी/एसटी एक्ट में सुधार के जरिये और गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के जरिये उसने सभी जातियों के बीच सामाजिक वैमनस्य दूर करने का काम किया है। और सबके लिए अवसर उपलब्ध कराए हैं। मदरसों के आधुनिकीकरण का वादा भी सरकार ने निभाया है। नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनावों में हर मुस्लिम बच्चे के एक हाथ में कंप्यूटर देने की बात कही थी जो उसने अपने अनेक कार्यक्रमों से आगे बढ़ाया और मदरसों को आधुनिक बनाया। महिलाओं को मुद्रा लोन, शौचालय और अनेक योजनाओं के जरिये सुदृढ़ किया गया। 

शिक्षा में पिछ्ड़ी- भाजपा ने छोटे बच्चों से लेकर उच्च शिक्षा तक में बजट में बढ़ोतरी करने और संस्थाओं को और मजबूत करने का वायदा किया था। लेकिन वास्तविकता में उच्च शिक्षा को पिछले पांच सालों में हासिये पर रखा गया है, शिक्षा बजट में कमी की गई है और नये शिक्षकों-प्रोफेसरों की नियुक्ति बेहद कम हुई है। ऐसे में सरकार को इस मोर्चे पर सफल नहीं कहा जा सकता। हालांकि वोकेशनल ट्रेनिंग में उसने नई ऊँचाई जरुर छुआ है।

स्वास्थ्य- भाजपा आयुष्मान योजना को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धी बता सकती है क्योंकि इस योजना के जरिये लगभग 50 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य सुविधा देने की कोशिश की गई है। सरकार ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों में एम्स खोलने, आयुर्वेदिक और जनरिक दवाओं का मूल्य कम करने और स्टंट का मूल्य बेहद कम करने में सफलता पाई है। 

कृषि- कृषि के क्षेत्र में सरकार अपनी पीठ ठोंक सकती है. किसानों को ई बाज़ार देने, हर साल 6,000 रूपये की आर्थिक मदद देने, यूरिया को नीम कोटिंग करने और कृषि उपकरणों पर ब्याज कम करने को अपनी उपलब्धी बता सकती है। मृदा को चेक करने की सुविधाएँ देने, किसानों को सस्ता कर्ज देने, कृषि ऋण माफ़ करने को भी अपनी उपलब्धी बता सकती है। 

राममंदिर- पार्टी के घोषणापत्र के 49वें पेज पर राम मंदिर का जिक्र हुआ था। उसने संविधानिक तरीकों से राम मंदिर के निर्माण का वायदा किया था। उसने गैर विवादित जमीन हिन्दुओं को सौंपने, कोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई करने की अपील भी की थी। 

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