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सोमवार, 8 अप्रैल 2019

आरक्षित सीटों पर Congress से मजबूत पकड़ रखती है BJP, पिछले 8 चुनावों के आंकड़े हैं गवाह

आरक्षित सीटों पर Congress से मजबूत पकड़ रखती है BJP, पिछले 8 चुनावों के आंकड़े हैं गवाह


सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर 
चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1989 से अब तक आठ चुनावों में आरक्षित सीटों पर भाजपा की पकड़ कांग्रेस से ज्यादा मजबूत रही है। कांग्रेस लंबे समय से अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय से जुड़ी हुई पार्टी है, इसके बावजूद भाजपा ने देश भर में कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की है। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 1989 से 2014 के बीच देश भर की आरक्षित सीटों से कुल 976 सांसद चुने गए, जिनमें से 30 प्रतिशत सांसद भाजपा के हैं और 28 प्रतिशत कांग्रेस के हैं।  माना जाता है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की लोकप्रियता में साल 1989 ही कमी आने लगी थी। वहीं, 1989 को भारतीय जनता पार्टी के इतिहास के नए अध्याय की शुरूआत का दौर कहा जाता है। इसी दौरान पहली बार देश की जनता के बीच कांग्रेस के अलावा किसी दूसरे विकल्प का रूख करने की भावना देखी गई थी, जब कांग्रेस ने लगातार कथित उच्च जाती के वोटों पर अपनी पकड़ खोना शुरू कर दिया था।

1989 से 2014 के बीच पांच चुनावों यानी 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में भाजपा ने कांग्रेस से अधिक संख्या में आरक्षित सीटें अपने नाम की थी। 2014 के आम चुनावों में भाजपा ने कुल 66 आरक्षित सीटें जीती थी। भाजपा एकमात्र पार्टी थी, जिसने अकेले इतनी बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की। 

कॉमन आंकड़ाें से अलग है कर्नाटक की तस्वीर
इन सब के बीच कर्नाटक एक अपवाद के रूप में नजर आता है। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों को छोड़ दिया जाए तो राज्य के 28 आरक्षित सीटों में से 38 प्रतिशत कांग्रेस के खाते में गए, जबकि 31.6 प्रतिशत भाजपा ने अपने नाम किया। 2004 और 2009 मेंं भाजपा और कांग्रेस के आरक्षित सीटों की संख्या लगभग बराबर ही थी। 

वर्तमान में कर्नाटक में भाजपा के बढ़ते असर के बावजूद कांग्रेस अपनी रणनीतियों के बदौलत आरक्षित सीटों पर मजबूत पकड़ बनाए रखने में सफल दिखाई देती है। गौरतलब है कि कर्नाटक में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की बड़ी आबादी है। हालांकि मौजूदा सरकार ने भी कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की हैं, लेकिन ज्यादातर संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस के प्रत्याशियों ने पुराने संबंधों को बनाए रखा है, जिसका फायदा पार्टी को मिलना स्वभाविक है। 

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