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शनिवार, 29 जून 2019

जाति सूचक शब्द बोला तो लगेगा एससी-एसटी एक्ट, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नियम सख्त

जाति सूचक शब्द बोला तो लगेगा एससी-एसटी एक्ट, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नियम सख्त

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

खास बातें

  • यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र
  • एंटी रैगिंग रेगुलेशन 2016 के नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश
  • निर्देश का पालन न करने वाले संस्थानों पर भी होगी कार्रवाई
  • बिहारी, हरियाणवी, मोटी और पतली जैसे शब्दों का प्रयोग भी है रैगिंग में शामिल
किसी भी विद्यार्थी को जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने पर एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी 750 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को पत्र लिखकर एंटी रैगिंग रेगुलेशन 2016 के नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। मुंबई में पिछले दिनों मेडिकल छात्रा की मौत के बाद जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने की बात सामने आई थी।  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा है।
प्रो. जैन ने अपने पत्र में लिखा है कि आयोग ने 2011 से 2018 तक विश्वविद्यालयों को इस संबंध में नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। हालांकि कई उच्च शिक्षण संस्थान नियमों को सख्ती से लागू नहीं कर देते हैं। यदि कोई संस्थान या विश्वविद्यालय नियमों को लागू नहीं करता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। 

प्रो. जैन के मुताबिक, आयोग  के पिछले पत्रों में विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को एंटी रैगिंग रेगुलेशन नियम सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया था। एंटी रैगिंग रेगलुेशन 2009 को 2016 में संशोधित किया था। इसके तहत जातिसूचक के साथ-साथ क्षेत्र पर आधारित शब्दों का प्रयोग भी नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि यूजीसी एंटी रैगिंग रेगुलेशन 2016 में बिहारी, हरियाणवी, मोटी, पतली व जाति आधारित जैसे शब्दों को भी रैगिंग की श्रेणी में शामिल कर लिया था। 

30 दिनों में चार बिंदुओं पर मांगी एक्शन टेकन रिपोर्ट 

आयोग ने संस्थानों और विश्वविद्यालयों से शैक्षणिक सत्र 2018-19 के तहत ऐसे मामलों की चार बिंदुओं पर एससी, एसटी व ओबीसी विद्यार्थियों की शिकायतों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। इसमें विवि को बताना होगा कि पिछले रेगुलेशन के आधार पर कमेटी गठित,  शिकायतों के लिए वेबसाइट पर विशेष पेज, रजिस्ट्रार के पास जाति सूचक शिकायतों पर निपटारा किया गया है या नहीं , एक वर्ष में कुल शिकायत, कितने मामलों का निपटारा, किसी फैकल्टी के खिलाफ भी शिकायत या कार्रवाई हुई या नहीं, विवि में कोई एंटी रैगिंग सेल है या नहीं, किस प्रकार से शिकायतों का निपटारा किया जाता है आदि पर रिपोर्ट देनी है। 

विश्वविद्यालय को वेबसाइट पर विशेष पेज बनाना होगा 

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर एंटी रैगिंग या जातिसूचक शब्दों का प्रयोग न करने पर आधारित पेज तैयार करना होगा। इसी पेज पर विद्यार्थी ऑनलाइन एंटी रैगिंग, जातिसूचक या क्षेत्र पर आधारित शिकायत दे सकते हैं।

इसके अलावा कुलपति, प्रिंसिपल या रजिस्ट्रार ऑफिस में भी सीधे शिकायत लेने का प्रावधान करना होगा। संस्थानों को अपनी फैकल्टी पर भी नजर रखी होगी। इसके अलावा ऐसे मामलों के निपटारे के लिए फैकल्टी सदस्यों की टीम बनाने को कहा है, जोकि ऐसी घटनाओं व गतिविधियों पर नजर रखेगी। यदि कोई फैकल्टी इस मामले में आरोपी हो तो भी उसके खिलाफ कार्रवाई करें।

यूजीसी ने यौन उत्पीड़न के मामलों पर 31 तक मांगी रिपोर्ट

विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों और महिला कर्मियों को सुरक्षित माहौल देने के मकसद से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने यौन उत्पीड़न के मामलों पर 31 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी है। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को यूजीसी को कुल शिकायतों संग मामलों पर किस प्रकार से कार्रवाई की गई, उसके बारे में भी जानकारी देनी होगी।  

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन के मुताबिक, महिला शिक्षक, कर्मी और विद्यार्थियों को सुरक्षित वातावरण देने के मकसद से केंद्रीय, स्टेट, निजी व डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के साथ-साथ कॉलेजों को भी आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था।

विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को यूजीसी रेगुलेशन 2015 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों को आंतरिक शिकायत कमेटी गठित करनी थी। इस शिकायत समिति में संस्थान की महिला शिक्षक, कर्मी और छात्राएं यौन उत्पीडन संबंधी शिकायत दे सकती थी। सभी शिकायतों का समिति को रिकॉ़र्ड रखना अनिवार्य था। प्रो. जैन के मुताबिक, इसी के तहत विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक की शिकायतों की रिपोर्ट बनाकर भेजनी होगी। 

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