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गुरुवार, 13 जून 2019
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कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच विवाद में उलझी सरकार, बड़ा साइड इफेक्ट आया सामने
कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच विवाद में उलझी सरकार, बड़ा साइड इफेक्ट आया सामने
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच छिड़े विवाद का बड़ा साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है। विवाद किसी न किसी मुकाम पर जल्द ही पहुंच जाएगा, लेकिन पंजाब सरकार के इस विवाद में उलझ जाने से कांग्रेस के उन विधायकों और सीनियर नेताओं में बेचैनी बढ़ने लगी है, जो लंबे समय से प्रदेश के बोर्ड-निगमों में चेयरमैन पदों की आस लगाए बैठे हैं।
बुधवार को इस संबंध में कई सीनियर नेताओं ने बातचीत में इस बात पर कड़ा ऐतराज जताया कि कांग्रेस सरकार का करीब ढाई साल का कार्यकाल बीत चुका है और अब तक प्रदेश के बोर्ड-निगमों पर अकालियों द्वारा नियुक्त चेयरमैन व सदस्य ही काबिज हैं। इन नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी नेताओं को अवसर देना तो दूर, अकालियों से ही ओहदे वापस नहीं ले पाए हैं।
इसी बीच, कुछ आरक्षित वर्ग से संबंधित नेताओं ने इस बात पर भी ऐतराज जताया कि मुख्यमंत्री ने कई बोर्ड-निगमों में सदस्यों व अन्य पदाधिकारियों की नियुक्तियां तो की हैं, लेकिन इन नियुक्तियों में जनरल कैटगिरी के नेताओं को ही तरजीह दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षित वर्ग से संबंधित नेताओं को अब तक किसी बोर्ड-निगम में नियुक्ति नहीं दी गई है। कुछ नेताओं ने कहा कि पंजाब में करीब 55 बोर्ड-निगमों में पदों पर अकालियों द्वारा नियुक्त अधिकारी ही काबिज हैं, जबकि ढाई साल का अरसा बीत जाने के बाद भी इन्हें हटाया नहीं गया है।
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