कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच विवाद में उलझी सरकार, बड़ा साइड इफेक्ट आया सामने
सिद्धू और कैप्टन - फोटो : अमर उजाला
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच छिड़े विवाद का बड़ा साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है। विवाद किसी न किसी मुकाम पर जल्द ही पहुंच जाएगा, लेकिन पंजाब सरकार के इस विवाद में उलझ जाने से कांग्रेस के उन विधायकों और सीनियर नेताओं में बेचैनी बढ़ने लगी है, जो लंबे समय से प्रदेश के बोर्ड-निगमों में चेयरमैन पदों की आस लगाए बैठे हैं।
बुधवार को इस संबंध में कई सीनियर नेताओं ने बातचीत में इस बात पर कड़ा ऐतराज जताया कि कांग्रेस सरकार का करीब ढाई साल का कार्यकाल बीत चुका है और अब तक प्रदेश के बोर्ड-निगमों पर अकालियों द्वारा नियुक्त चेयरमैन व सदस्य ही काबिज हैं। इन नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी नेताओं को अवसर देना तो दूर, अकालियों से ही ओहदे वापस नहीं ले पाए हैं।
इसी बीच, कुछ आरक्षित वर्ग से संबंधित नेताओं ने इस बात पर भी ऐतराज जताया कि मुख्यमंत्री ने कई बोर्ड-निगमों में सदस्यों व अन्य पदाधिकारियों की नियुक्तियां तो की हैं, लेकिन इन नियुक्तियों में जनरल कैटगिरी के नेताओं को ही तरजीह दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षित वर्ग से संबंधित नेताओं को अब तक किसी बोर्ड-निगम में नियुक्ति नहीं दी गई है। कुछ नेताओं ने कहा कि पंजाब में करीब 55 बोर्ड-निगमों में पदों पर अकालियों द्वारा नियुक्त अधिकारी ही काबिज हैं, जबकि ढाई साल का अरसा बीत जाने के बाद भी इन्हें हटाया नहीं गया है।
इन बोर्ड-निगमों में- पंजाब रोड एंड ब्रिज डेवलपमेंट बोर्ड, पंजाब रूरल डेवलपमेंट बोर्ड, पंजाब सबार्डिनेट सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड, पंजाब लेबर वेलफेयर बोर्ड, पंजाब बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रस्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड, पंजाब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, पनसप, मिल्कफेड, पंजाब स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड, पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन, पंजाब एग्रो इंडस्ट्री कारपोरेशन, पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड, पंजाब स्कूल टेक्निकल एजुकेशन बोर्ड, वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड, पंजाब स्टेट लैंड यूज एंड वेस्ट लैंड डेवलपमेंट बोर्ड, पंजाब स्टेट सोशल वेलफेयर बोर्ड, पंजाब स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड, पंजाब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड आदि में अब पार्टी से आर?क्षित वर्ग के नेताओं द्वारा दावा जताया जा रहा है।
दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव के बाद पहली कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के विभागों के फेरबदल के साथ ही कैप्टन और सिद्धू के बीच बढ़ा विवाद पार्टी आलाकमान तक पहुंच चुका है। दोनों ओर से कोई भी पक्ष झुकने को तैयार दिखाई नहीं दे रहा। वहीं चेयरमैनी का इंतजार कर रहे सीनियर नेता जोकि चुनाव खत्म होते ही सचिवालय के चक्कर काटने लगे थे, अब मायूस होकर इस जंग के पटाक्षेप का इंतजार करने लगे हैं।