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बुधवार, 17 जुलाई 2019

केंद्र और असम सरकार की मांग, 20 फीसदी ड्राफ्ट एनआरसी डाटा की दोबारा हो जांच

केंद्र और असम सरकार की मांग, 20 फीसदी ड्राफ्ट एनआरसी डाटा की दोबारा हो जांच

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : Bharat Rajneeti
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर केंद्र और असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। ऐसा एनआरसी के अंतिम प्रकाशन से ठीक पहले किया गया है। केंद्र और राज्य सरकार की मांग है कि एनआरसी डाटा के 20 फीसदी ड्राफ्ट की दोबारा जांच की जाए। इनका दावा है कि ऐसा पता चला है कि ड्राफ्ट से कई भारतीय नागरिक बाहर हो गए हैं, और अवैध बांग्लादेशियों को इसमें शामिल किया गया है।

दोनों सरकारों ने एनआरसी की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाने का आग्रह भी किया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इतनी जल्दी एनआरसी संभव नहीं है। इसपर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम मामला देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के लिए 31 जुलाई की डेडलाइन रखी है। केंद्र और राज्य सरकार ने अपनी याचिकाओं के समर्थन में कहा है कि बीते साल अगस्त माह में सुप्रीम कोर्ट ने भी एनआरसी में दोबारा जांच की बात कही थी। बीते साल 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ड्राफ्ट से बाहर रखे गए 10 फीसदी लोगों का दोबारा सत्यापन कराने का आदेश दिया था। 

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने एनआरसी कॉर्डिनेटर प्रतीक हाजेला को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था कि जिन लोगों को एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया है, क्या उन्हें अपनी वंशावली (लीगेसी) बदलने की इजाजत देने से कोई असर पड़ सकता है।

इसके साथ ही पीठ ने एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में शामिल न होने वाले लोगों के दावों और आपत्तियों के लिए आवेदन लेने की तारीख बढ़ा दी थी। एनआरसी के अंतिम मसौदे से बाहर हुए 40 लाख लोगों की आपत्तियों और दावों पर विचार करने के लिए केंद्र के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) में विरोधाभास पर भी पीठ ने सवाल उठाए थे। 

कोर्ट ने कहा था, "कुछ मीडिया रिपोर्ट हैं कि कैसे दावे और आपत्तियों के साथ निपटा जा रहा है। मीडिया हमेशा गलत नहीं होता, कभी-कभी वे सही होते हैं, ये सुनिश्चित करें कि प्रक्रिया में कोई कमी न रह जाए और यह सही तरीके से किया जाए।"

कोर्ट ने समन्वयक से एनआरसी से एक पूर्व सैनिक को बाहर रखने के बारे में पूछा था और इसे एक परेशान करने वाली घटना करार दिया था। केंद्र और राज्य सरकार ने असम के बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले जिलों में 20 फीसदी सैंपल की दोबारा जांच की बात कही है। 

असम सरकार के अनुसार राज्य के कई मूल निवासियों ने एनआरसी की सूची में अपना नाम नहीं पाया, क्योंकि उनके पास दस्तावेजों की कमी थी। ना ही इन लोगों ने एनआरसी में खुद को शामिल करने के लिए कोई आवेदन किया। केवल इतना ही नहीं इनमें से कई को विदेशी भी माना जा रहा है, जो यहां काम कर रहे हैं। वहीं कई विदेशी होने के बावजूद एनआरसी अधिकारियों के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रिश्वत लेकर एनआरसी अधिकारी विदेशियों का नाम इसमें शामिल कर रहे हैं।

बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में ये सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। यहां के अधिकतर मूल निवासियों को सूची से बाहर जगह मिली है। बीते साल अगस्त माह में एनआरसी का अंतिम ड्राफ्ट प्रकाशित हुआ था। जिससे राज्य के 40 लाख लोग बाहर हो गए थे। जिसके बाद एनआरसी कोऑर्डिनेटर ऑफिस को 36.2 लाख आवेदन नामों के शामिल करने के लिए और दो लाख आवेदन बाहर करने के लिए मिले थे। 

असम पब्लिक वर्क नामक एनजीओ ने रिश्वत लेने के बाद गिरफ्तार हुए दो एनआरसी अधिकारियों के मामले पर जोर देते हुए कहा कि ड्राफ्ट की सौ फीसदी जांच की जाए।

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