अखिलेश ने कहा, सोनभद्र में अपने पाप छिपाना चाहती है भाजपा सरकार

अखिलेश ने बयान में कहा कि सोनभद्र के नृशंस हत्याकांड के लिए जिला व पुलिस प्रशासन तथा भाजपा सरकार जिम्मेदार हैं। आदिवासी व दलित जिस जमीन पर वर्षों से खेती कर रहे थे, उससे बेदखल करने में ग्राम प्रधान व उनके साथी काफी समय से लगे थे लेकिन जिला प्रशासन आंखे मूंदे रहा।
तहसील, थाना दिवस पर एक दिन पहले तक ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई थी, लेकिन प्रशासन ने सुनवाई नहीं की। अधिकारी सौदेबाजी में लगे रहे। उनकी लापरवाही ने 11 जाने ले लीं। सपा का डेलीगेशन हत्याकाण्ड के पीछे की सच्चाई जानना चाहता था।
गांव की सरहद पर पहुंचते ही कनाहरी प्राथमिक विद्यालय में पुलिस प्रशासन ने उन्हें रोक दिया। मौके पर भारी फोर्स तैनात थी। डेलीगेशन से कहा कि डीएम का आदेश है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति गांव में नहीं जाएगा।
नोक-झोंक के बाद जब सपा डेलीगेशन को नहीं जाने दिया गया सभी लोग लोकतांत्रिक तरीके से सड़क पर ही धरने पर बैठकर नारेबाजी करने लगे। जांच दल में मिर्जापुर के पूर्व विधायक जगदम्बा सिंह पटेल, सोनभद्र के पूर्व विधायक रमेश चन्द्र दुबे व अविनाश कुशवाहा, भदोली के पूर्व विधायक जाहिद बेग, चंदौली के सपा जिलाध्यक्ष सत्य नारायण राजभर और मिर्जापुर के जिलाध्यक्ष आशीष यादव शामिल थे।
इनके अलावा पूर्व सांसद भाई लाल कोल, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र पटेल, व्यासजी गौड़, विजय यादव, रामनिहोर यादव, संजय यादव (पूर्व जिलाध्यक्ष मिर्जापुर), देवी प्रसाद चौधरी, सुरेश पटेल व नफीस अहमद जांच दल के साथ थे।
गांव की नाकेबंदी, डरे सहमे हैं लोग
अखिलेश ने कहा, गांव के चारों तरफ पुलिस की नाकेबंदी कर दी गई है। गांव के लोगों को गांव से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। वे जिला प्रशासन से काफी डरे, सहमें हुए हैं। गरीबों को न्याय मिलना सम्भव नहीं लग रहा है।
हर घर के बाहर दो-दो पुलिस कर्मी लगा दिये गए हैं। उन्होंने कहा कि सोनभद्र कांड पूरे प्रदेश के हालत बता रहा है। प्रदेश में अराजकता और जंगलराज है। भाजपा सरकार को यह समझना चाहिए कि अगर सामाजिक अस्थिरता रही तो आर्थिक स्थिरता भी नामुमकिन है।