चंद्रयान-2 का काउंटडाउन शुरू, सभी तैयारियां पूरी, आज दोपहर 2.43 बजे होगी लॉन्चिंग
चंद्रयान-2 मिशन - फोटो : Bharat Rajneeti
इसरो के महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान- 2 के लॉन्चिंग की सभी तैयारियों को पूरा हो चुकी है। इसके लॉन्चिंग के लिए रविवार शाम से काउंटडाउन भी शुरू हो गया है। इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि 15 जुलाई को लॉन्चिंग के दौरान आई तकनीकी गड़बड़ियों को दूर कर लिया गया है।
बीते शनिवार को इसरो ने चंद्रयान-2 के लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी मार्क 3-एम1 का लॉन्च रिहर्सल पूरा कर लिया है और इसका प्रदर्शन सामान्य पाया गया है। इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण सोमवार दोपहर 2.43 बजे किया जाएगा।
तकनीकी खराबी के कारण 15 जुलाई को आखिरी समय में इसका प्रक्षेपण रोक दिया गया था। बाद में वैज्ञानिकों ने बताया कि लॉन्च व्हीकल में तकनीकी खराबी के कारण ही प्रक्षेपण रोका गया था। वैज्ञानिकों ने इसरो की इस बात के लिए तारीफ की कि बड़ी दुर्घटना होने के बजाय प्रक्षेपण कुछ समय के लिए टाल दिया गया।
978 करोड़ रुपये के चंद्रयान मिशन में जीएसएलवी-एमके 3 लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें थ्री-स्टेज क्रायोजेनिक तकनीक से लैस सीई-20 इंजन लगा हुआ है। क्रायोजेनिक स्टेज में ईंधन के तौर पर लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीडाइजर के रूप में लिक्विड ऑक्सीजन का उपयोग करता है।
क्या है चंद्रयान-2 मिशन?
इसरो ने चंद्रयान-2 की तस्वीरे जारी की हैं - फोटो : Bharat Rajneeti
ये भारत का चंद्रमा मिशन है, जिसमें यान को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जाएगा।
क्या है उद्देश्य?
- अगर चंद्रयान-2 से चांद पर बर्फ की खोज हो पाती है तो भविष्य में यहां इंसानों का प्रवास संभव हो सकेगा।
- इससे यहां शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान में भी नई खोजों का रास्ता खुलेगा।
- लॉन्चिंग के 53 से 54 दिन बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 की लैंडिंग होगी और अगले 14 दिन तक यह डाटा जुटाएगा।
जीएसएलवी क्या है?
इसरो ने जीएसएलवी को मुख्य तौर पर कम्यूनिकेशन सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया है। इनमें वो सैटेलाइट शामिल हैं, जो जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट यानी 250x36000 किलोमीटर पर स्थापित की जाती है। यहां से सैटेलाइट्स को उसके फाइनल मुकाम तक पहुंचाया जाता है। इसमें मौजूद इंजन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस अर्थ ऑर्बिट यानी GEO जो 36 हजार किलोमीटर ऊंचाई पर पहुंचाती है। अपनी जियो-सिंक्रोनस नेचर के चलते, सैटेलाइट अपनी ऑर्बिट में एक फिक्स पोजीशन में घूमती है। ये धरती से एक नियत स्थान पर दिखाई देती है।
चंद्रयान-2: हम चांद पर क्यों जा रहे हैं?
चंद्रयान :Bharat Rajneeti
चंद्रमा पृथ्वी का नजदीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए आवश्यक टेक्नोलॉजी के परीक्षण का केंद्र भी होगा।