सदन में सिद्धू जैसे आक्रामक कांग्रेसी की तलाश, अंदरूनी खींचतान से कैप्टन चिंतित
नवजोत सिंह सिद्धू (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
मानसून सत्र के दौरान सोमवार को पक्ष-विपक्ष सदन में आमने-सामने होंगे। अब तक नवजोत सिंह सिद्धू सदन में अपनी आक्रामक शैली से विपक्ष पर भारी पड़ते थे लेकिन इस बार उनकी सत्र से गैरमौजूदगी ने कांग्रेस को नए सिरे से रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है।
शुक्रवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी विधायकों में यह कहकर जोश भरने की कोशिश की कि उनकी सरकार ने जनकल्याण के अनेक काम किए हैं, इसलिए कांग्रेस विधायक सदन में डिफेंसिव न रहें बल्कि विपक्ष के गुमराह करने वाले आरोपों का डटकर जवाब दें।
आमतौर पर विधानसभा सत्र के आगाज से पहले सभी पार्टियां अपने विधायक दल की बैठक कर सदन में अपनी भूमिका की रूपरेखा तय करती हैं। लेकिन इस बार सीएम को सत्र शुरु होने के बाद अपने विधायकों की बैठक बुलानी पड़ी, जिससे यह संकेत गया है कि कैप्टन अपने विधायकों को लेकर निश्चिंत नहीं हैं।
दरअसल, सदन में इस बार भी आम आदमी पार्टी का रुख कांग्रेस के प्रति नरम ही रहने वाला है। हालांकि बिजली के दाम को लेकर पार्टी सरकार को घेरती दिखाई देगी। लेकिन कांग्रेस का मुख्य मुकाबला अकाली दल-भाजपा गठबंधन से होना है, जिसके खिलाफ कांग्रेस ने अपनी पुरानी रणनीति को बनाए रखते हुए बेअदबी, बरगाड़ी और सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को मुद्दा बनाने का फैसला किया है। फिर भी कांग्रेस की दिक्कत यह है कि सदन में अकाली दल को ललकारेगा कौन? यह काम अब तक नवजोत सिंह सिद्धू करते रहे हैं।
कांग्रेस विधायकों को अपनी ही सरकार के शिकायतें
शुक्रवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक विधानसभा सत्र के लिए रणनीति बनाने को लेकर बुलाई गई थी लेकिन बैठक में रणनीति से पहले करीब आधा दर्जन विधायकों ने कैप्टन के सामने शिकायतों का पिटारा खोल दिया। ज्यादातर विधायकों की शिकायत हलकों में विकास कार्य से है। आरोप है कि विकास के लिए फंड जारी नहीं हो रहा।
प्रदेश के मंत्री ही विधायकों की बात नहीं सुनते। विधायकों ने कैप्टन से कहा कि विकास कार्य शुरु नहीं होने के कारण अब उनके लिए अपने हलकों के लोगों को जवाब देना मुश्किल हो गया है। तब कैप्टन ने कहा कि सोमवार को विधायकों के साथ वे फिर से बैठक करके उनकी समस्याएं दूर करेंगे।