पीएमओ का फर्जी अधिकारी बनकर लाखों की उगाही, कभी IPS तो कभी IAS बनकर करता था फोन
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी - फोटो : bharat rajneeti
पीएमओ का वरिष्ठ अधिकारी बनकर उगाही करने वाले बीटेक पास युवक को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी कभी आईएएस तो कभी आईपीएस बनकर अधिकारियों पर दबाव बनाकर लाखों उगाही कर रहा था। आरोपी युवक के साले को भी पुलिस ने पकड़ा है।
वह राजनेता बनकर भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री के नाम पर उगाही कर रहा था। कोतवाली सेक्टर-20 पुलिस ने सेक्टर-18 मेट्रो स्टेशन के पास से बुधवार रात को दोनों गिरफ्तार किया। पुलिस इनके खातों की जांच कर रही है।पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों की पहचान प्रयागराज निवासी आदित्य उर्फ गौरव मिश्रा और बुढ़ाना, मुजफ्फरनगर निवासी सत्यवीर राठी के रूप में हुई है। आदित्य, सत्यवीर का जीजा है। आदित्य ने वर्ष 2012 में ग्रेटर नोएडा के आईईसी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक किया है। इस दौरान वह गूगल पर एक महिला आईपीएस का वीडियो देखकर प्रभावित हुआ और चंडीगढ़ से वर्दी तैयार कराकर फर्जी आईपीएस बन गया। वर्ष 2012 में कोतवाली सेक्टर-58 पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था।
वर्ष 2014 में जेल से बाहर आकर उसने आईएएस-आईपीएस जैसी बातचीत, लहजे के लिए ट्रेनिंग ली और तब से अब तक कभी आईएएस व आईपीएस के नाम पर उगाही करता रहा।
वहीं, आशुतोष फर्जी राजनेता बनकर भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल के नाम पर अधिकारियों को फोन कर ट्रांसफर, पोस्टिंग व समझौते कराता था। 26 जुलाई को भाजपा नेता राजीव शर्मा ने आशुतोष के खिलाफ कोतवाली सेक्टर-20 में मुकदमा दर्ज कराया। तब पुलिस ने जांच की तो जीजा-साले के इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
बी टेक के बाद ऐसे बना फर्जी आईपीएस
पुलिस के मुताबिक, बी टेक पास करने के बाद एक महिला आईपीएस का वीडियो देखकर आदित्य प्रभावित हुआ। इससे इसके मन में वर्दी पहनकर फर्जी आईपीएस बनने का लालच आ गया। इसके बाद ग्रेटर नोएडा के एक विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को फोन कर अपना परिचय एक आईपीएस के रूप में देकर एक व्यक्ति का एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन कराया। इसमें उसे पैसे मिले। इसके बाद से वह लगातार इस तरह की उगाही में लग गया।
इस तरह ली ट्रेनिंग
वर्ष 2012 में नोएडा की सेक्टर-58 पुलिस ने उसे फर्जी आईपीएस के मामले में गिरफ्तार कर लिया। जब जेल से छूटा तो उसका मन और भी बढ़ गया। वर्ष 2014 में गुजरात निवासी सुजीत से उसकी मुलाकात हुई। सुजीत प्राइवेट लाइजनिंग का काम करता है और लोगों को ट्रेनिंग भी देता है। सुजीत के साथ करीब आठ महीने रहकर ट्रेनिंग ली कि किस तरह अधिकारियों व नेताओं से काम कराया जाता है। अधिकारी किस तरह एक दूसरे से बात करते हैं। सुजीत के माध्यम से गौरव की मुलाकात दिल्ली में एक आईएएस से हुई। इसके बाद मंत्रालय में कई अधिकारियों से मित्रवत संबंध हुए। यहां से वह पीएमओ का वरिष्ठ अधिकारी बताकर जनपद के अधिकारियों को फोन कर काम करवाने लगा।
ऐसे देता था अधिकारियों को झांसा
आरोपी गौरव खुद को आईएएस-आईपीएस बताकर किसी अधिकारी से संपर्क करता था फिर कुछ काम करवाता था। इसके बाद उसी अधिकारी के रेफरेंस से दूसरे अधिकारी से संपर्क करता था। इस कारण दूसरे अधिकारी को कभी यह संदेह नहीं होता था कि यह फर्जी है। इस तरह एक के बाद एक अधिकारियों की चेन बनती गई और उन लोगों के बीच खुद को अधिकारी के रूप में स्थापित कर लिया। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि स्कूल, कॉलेजों में एडमिशन, लाइजनिंग, ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर इसने लाखों रुपये की उगाही की है।
ऐसे खुला मामला
जब गौरव अधिकारी बनकर अपना धंधा चलाने लगा तो उसका साला आशुतोष फर्जी राजनेता बन गया। आशुतोष ने अधिकारियों के नाम का सहारा लेकर कई लोगों के काम कराए। इससे काफी पैसा कमाया। जुलाई में आशुतोष ने प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री सुनील बंसल के नाम पर अधिकारियों को फोन कर ट्रांसफर पोस्टिंग का दबाव बनाया था। इसके बाद भाजपा नेता राजीव शर्मा ने कोतवाली सेक्टर-20 में मुकदमा दर्ज कराया था।
फर्जी आईएएस, आईपीएस व राजनेता बताकर उगाही करने वाले जीजा-साले को गिरफ्तार किया गया है। ये लोग कई वर्षों से इस तरह की उगाही कर रहे थे।
-वैभव कृष्ण, एसएसपी।