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शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

राजनीतिक जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं ड्रीम बजट पेश करने वाले चिदंबरम

राजनीतिक जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं ड्रीम बजट पेश करने वाले चिदंबरम

पी चिदंबरम
पी चिदंबरम : bharat rajneeti

खास बातें

  • चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते आम आदमी के सपनों वाला बजट पेश किया था
  • वह 1969 और 1984 में उस समय इंदिरा गांधी के साथ बने रहे जब कांग्रेस में विभाजन हो गया था
  • मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 1996 में नया राजनीतिक दल बनाया था
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम अपने राजनीतिक जीवन के सबसे पुरे दौर से गुजर रहे हैं। देश के सबसे प्रभावशाली राजनेताओं में शुमार चिदंबरम ने कभी वित्त मंत्री रहते आम आदमी के सपनों वाला बजट पेश किया था। जिससे वह काफी लोकप्रिय हुए। यही नहीं वह देश के गृह मंत्री भी रह चुके हैं।   
सीबीआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता-राजनेता पलानियप्पन चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में धनशोधन तथा भ्रष्टाचार के आरोपों में बुधवार रात को गिरफ्तार किया। इसके चलते उन्हें अब अदालतों में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।

मुक्त कारोबार और स्वच्छंद आर्थिक सुधारों के पैरोकार माने जाने वाले चिदंबरम 1960 के दशक में जब राजनीति में आये तो कट्टर वामपंथी की तरह सरकार नियंत्रित अर्थव्यवस्था के पक्षधर थे।

मद्रास के एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार से आने वाले चिदंबरम ने पारिवारिक कारोबार के बजाय राजनीति में कदम रखा और 1967 में उस समय कांग्रेस में शामिल हुए जब यह राज्य में सत्ता से बाहर हो गयी थी। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। वह 1969 और 1984 में उस समय इंदिरा गांधी के साथ बने रहे जब कांग्रेस में विभाजन हो गया था। 

राजीव गांधी की सरकार में उन्हें वाणिज्य राज्य मंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में भी वह राज्यमंत्री रहे। तब उनके पास वाणिज्य और उद्योग मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। हालांकि पार्टी के कुछ फैसलों से मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 1996 में नया राजनीतिक दल बनाया।

एक साल बाद ही उन्हें 13 दलों के गठबंधन वाली संयुक्त मोर्चा सरकार में वित्त मंत्री के नाते ड्रीम बजट पेश करने के लिए जाना गया और उन्होंने भारत के कर आधार को व्यापक करने में भूमिका निभाई। उनका यह बजट ऐसे समय में पेश किया गया जब गठबंधन सरकारों के दौर में आर्थिक सुधारों को गरीब-विरोधी के रूप में देखा जाता था।

हालांकि बाद में चिदंबरम कांग्रेस में लौट आए और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनी सरकार में वित्त मंत्री की कमान संभाली। वह 2004 से 2008 तक वित्त मंत्री रहे और दिसंबर 2008 से जुलाई 2012 तक गृह मंत्री रहे। बाद में संप्रग-2 के शेष कार्यकाल में वह वित्त मंत्री रहे।

चिदंबरम को उन श्रृंखलाबद्ध आर्थिक सुधारों के क्रियान्वयन का श्रेय दिया जाता है जिनका उद्देश्य विकास में आ रही मंदी को थामना, बढ़ते हुए राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाना और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करना था।

वह 2014 में संप्रग-2 सरकार रहने तक केंद्रीय मंत्री रहे और उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने तमिलनाडु में अपनी परंपरागत लोकसभा सीट शिवगंगा से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। इससे पहले वह सात बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके थे।

2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद जांच एजेंसियों ने आईएनएक्स मीडिया, एयरसैल मैक्सिस और संप्रग-2 में चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए एयर इंडिया द्वारा विमानों की खरीद समेत भ्रष्टाचार के मामलों में उन पर तथा उनके परिवार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।

जाने माने वकील चिदंबरम ने पहली बार 1984 में शिवगंगा लोकसभा सीट से जीत हासिल कर संसद में कदम रखा था और राजीव गांधी की तत्कालीन सरकार में वाणिज्य राज्य मंत्री बनाये गये।

उनके राजनीतिक जीवन का एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थामा और प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की गठबंधन सरकार में मंत्री रहे। उस सरकार में वित्त मंत्री के नाते उन्होंने काम किया लेकिन 1998 में देवगौड़ा सरकार सत्ता से बाहर हो गयी।

इसके बाद 1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा नीत राजग की सरकार रही और इसी बीच चिदंबरम ने 2001 में टीएमसी छोड़कर अपनी पार्टी कांग्रेस जननायक पेरावई का गठन किया। हालांकि उनके लिए यह फैसला बहुत कारगर साबित नहीं हुआ और अंतत: उन्हें अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में करना पड़ा।

छह साल की अवधि के अंतराल के बाद वह एक बार फिर संप्रग-1 सरकार में वित्त मंत्री बने। प्रशासनिक क्षमता के कारण उन्हें 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद गृह मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी। उस समय के गृह मंत्री शिवराज पाटिल को दबाव में पद छोड़ना पड़ा था।

चिदंबरम के लिए यह समय सुखद राजनीति वाला रहा और 2009 में शिवगंगा से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में भी गृह मंत्रालय की कमान सौंपी गयी।

2012 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद चिदंबरम को एक बार फिर वित्त मंत्रालय का कामकाज सौंपा गया। 2014 में कांग्रेस के बुरे दौर की शुरुआत के साथ ही चिदंबरम का राजनीतिक ग्राफ भी नीचे की ओर आने लगा। 

वर्तमान में राज्यसभा सदस्य चिदंबरम जब वित्त मंत्री थे, तब उनके लिए गये अनेक फैसलों पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहे हैं। आईएनएक्स मीडिया मामले के सिलसिले में बुधवार को सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

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