पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम पर लगे आरोप गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं : सिंघवी
पी चिदंबरम (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
सीबीआई ने जिस आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया है उसमें दोषी साबित होने पर अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है और ऐसे मामलों में गिरफ्तार करना जरूरी नहीं है क्योंकि इन्हें गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। इसके बाद भी चिदंबरम को जेल में रखा गया है। यह दलील पी. चिदंबरम के वकील और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनकी जमानत याचिका पर जिरह पूरी करते हुए बुधवार को दी। सिंघवी ने कहा, जांच एजेंसी द्वारा बगैर खास कारण बताए ऐसे आरोपियों का रिमांड भी नहीं दिया जाना चाहिए। सीबीआई इस याचिका पर शुक्रवार को अपील दलीलें पेश करेगी।
अपराध की गंभीरता उसकी सजा से नहीं बल्कि प्रभाव से समझें : सीबीआई
दूसरी ओर सीबीआई ने याचिका पर अपने लिखित जवाब में कहा, बेशक इस मामले में सात साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है, लेकिन अपराध की गंभीरता को उसकी सजा से नहीं बल्कि उसके प्रभाव से समझा जाना चाहिए।
इस मामले से जुड़े अपराध का दुष्प्रभाव समाज, अर्थव्यवस्था, वित्तीय स्थिरता व अखंडता पर पड़ा है। एजेंसी ने यह भी कहा था कि यह एक आर्थिक अपराध है और ऐसे अपराधों में जन प्रशासन में शुचिता समाप्त होती है और इससे जनता का विश्वास डगमगाता है।
कार्ति ने पेश किया था हलफनामा, कहा था कि दस्तावेज ईडी से मिले थे
याचिका पर सुनवाई के दौरान पी. चिदंबरम के बेटे व मामले में सह आरोपी कार्ति चिदंबरम ने हलफनामा पेश कर बताया कि आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संबंधी जो दस्तावेज वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में पेश किए थे वह उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मिले थे।
ये दस्तावेज खुद ईडी ने निचली अदालत में पेश किए थे। इसकी एक कॉपी उन्हें भी दी गई थी। हाईकोर्ट ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता की आपत्ति के बाद सिब्बल से पूछा था कि यह सरकारी दस्तावेज उन्हें कहां से मिले थे। चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त की रात गिरफ्तार किया था और वह तीन अक्तूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं।