सिक्किम के सीएम तमांग को मिली चुनाव आयोग से राहत, लड़ सकेंगे विधानसभा चुनाव
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के ऊपर लगे छह साल के चुनावी प्रतिबंध को चुनाव आयोग ने रविवार को घटाकर एक साल और एक महीने कर दिया। जनप्रतिनिधि कानून की धारा-11 के तहत उठाए गए इस कदम से अब तमांग के विधानसभा उपचुनाव में उतरकर अपना मुख्यमंत्री पद बचाए रखने का रास्ता साफ हो गया है। आयोग ने तमांग के ऊपर छह साल तक चुनाव लड़ने का प्रतिबंध लगाया था। यह प्रतिबंध 10 अगस्त, 2018 से लागू माना गया था। इसी दिन भ्रष्टाचार के मामले में तमांग की जेल की सजा पूरी हुई थी। आयोग के प्रतिबंध के हिसाब से तमांग 10 अगस्त, 2024 तक किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इस प्रतिबंध के कारण तमांग के मुख्यमंत्री बने रहने पर भी खतरा मंडरा रहा था।
इस साल जुलाई में तमांग ने धारा-11 के तहत अपने ऊपर लगे प्रतिबंध को कम करने की मांग आयोग से की थी। इसके बाद ही उनका प्रतिबंध घटाने की कार्रवाई की गई। आयोग की तरफ से सजा कम करने के आदेश पर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और दोनों चुनाव आयुक्तों अशोक लवासा व सुशील चंद्र ने हस्ताक्षर किए हैं। आठ पेज के आदेश में आयोग ने प्रमुख तौर पर यह भी टिप्पणी की कि तमांग ने न तो अपना पूरी सजा खत्म करने की मांग की और न ही विधानसभा चुनाव में नामांकन कराया। उन्होंने चुनाव में बहुमत मिलने के बाद सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी द्वारा उनके नेतृत्व में विश्वास जताए जाने पर महज अपना प्रतिबंध कम करने का आग्रह किया था। इसके बाद ही आयोग ने उनका प्रतिबंध घटाने का निर्णय लिया।
इस साल जुलाई में तमांग ने धारा-11 के तहत अपने ऊपर लगे प्रतिबंध को कम करने की मांग आयोग से की थी। इसके बाद ही उनका प्रतिबंध घटाने की कार्रवाई की गई। आयोग की तरफ से सजा कम करने के आदेश पर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और दोनों चुनाव आयुक्तों अशोक लवासा व सुशील चंद्र ने हस्ताक्षर किए हैं। आठ पेज के आदेश में आयोग ने प्रमुख तौर पर यह भी टिप्पणी की कि तमांग ने न तो अपना पूरी सजा खत्म करने की मांग की और न ही विधानसभा चुनाव में नामांकन कराया। उन्होंने चुनाव में बहुमत मिलने के बाद सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी द्वारा उनके नेतृत्व में विश्वास जताए जाने पर महज अपना प्रतिबंध कम करने का आग्रह किया था। इसके बाद ही आयोग ने उनका प्रतिबंध घटाने का निर्णय लिया।
पार्टी को मिला था पूर्ण बहुमत
तमांग की पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने अप्रैल में हुए चुनावों में राज्य विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल किया था। इसके बाद 27 अप्रैल को तमांग ने मुख्यमंत्री पद पर शपथ ग्रहण की थी। लेकिन वह प्रतिबंध के कारण विधानसभा चुनावों में नहीं उतर पाए थे, जबकि निर्वाचन कानून के तहत पद पर शपथ ग्रहण के छह महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करना अनिवार्य होता है। चुनाव आयोग की तरफ से सजा घटा दिए जाने के बाद उनका प्रतिबंध 10 सितंबर को खत्म हो गया है। इसके चलते अब वह चुनाव जीतकर अपना पद बचा सकते हैं।
गो वितरण योजना में भ्रष्टाचार के थे दोषी
तमांग को 1990 में पशुपालन मंत्री रहने के दौरान गो वितरण योजना के सरकारी फंड में गड़बड़ी करने का दोषी पाया गया था। इस मामले में उनके खिलाफ 2003 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्होंने इस मामले में अदालत से मिली जेल की सजा भी काटी है।
पहले भी उठाए हैं आयोग ने ऐसे कदम
किसी पर लगे चुनावी प्रतिबंध को घटाने का कदम चुनाव आयोग ने पहली बार नहीं उठाया है। दो ऐसे मामलों का आयोग ने तमांग के लिए किए गए आदेश में जिक्र भी किया है। एक बार आयोग ने श्याम नारायण तिवारी के मामले में ऐसा किया था, जबकि तिवारी को मौत की सजा मिली हुई थी। दूसरी बार आयोग ने पूर्वी यूपी के बाहुबली नेता मित्रसेन यादव के मामले में चुनाव लड़ने की इजाजत दी थी, जबकि यादव को हत्या के मामले में दोषी ठहराया जा चुका था।