
चुनावी नतीजों में नोटा पर 1.36 फीसदी वोट पड़े, यानी इतने फीसदी मतदाताओं ने किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को नकार दिया और अपनी-अपनी सीट पर NOTA का विकल्प चुना. लेकिन दिल्ली में सत्ताधारी AAP और बिहार में सत्ताधारी JDU को राज्य में नोटा से भी कम वोट हासिल हुए हैं. यह पार्टियां अकेली नहीं हैं जिनका ऐसा हाल हुआ है कुल मिलाकर 14 पार्टियों को NOTA से कम वोट मिले हैं.
AAP और TMC को एक फीसदी वोट नहीं
आम आदमी पार्टी का वोट फीसद 0.23 रहा. इसी तरह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को AIMIM को 1.16 फीसदी वोट मिले. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी सिर्फ 0.29 फीसदी वोटों तक सिमट गई. इसके अलावा ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक 0.04 फीसदी, बीएलएसपी 0.01 फीसदी, सपा 0.11 फीसदी वोट ही हासिल कर सकी.वामपंथी दल सीपीएम को 0.32 और सीपीआई को 0.46 फीसदी वोट ही मिले. शरद पवार की पार्टी को एक सीट पर जीत मिली लेकिन उसका वोट प्रतिशत एक से भी कम रहा. एनसीपी को चुनाव में सिर्फ 0.42 फीसदी वोट मिले. वहीं IUML को 0.02 फीसदी, जेडीएस को 0.01 फीसदी वोट ही मिल सके. एनपीईपी को चुनाव में 0.01 फीसदी वोट हासिल हुए.
बिहार की पार्टियों का बुरा हाल
केंद्र में बीजेपी की सहयोगी और बिहार में सत्ता की साथी जेडीयू को भी झारखंड में मुंह की खानी पड़ी है. नीतीश कुमार की पार्टी को सिर्फ 0.73 फीसदी वोट हासिल हुए जबकि झारखंड उनका पड़ोसी राज्य है. इसी तरह रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा को 0.30 फीसदी ही वोट मिले जो राज्य में बीजेपी से अलग चुनाव लड़ी थी. हालांकि जेएमएम की सहयोगी आरजेडी को एक सीट पर जीत जरूर मिली है.चुनावी नतीजों में बीजेपी और जेएमएम के बाद कांग्रेस को सबसे ज्यादा 14 फीसदी वोट मिले हैं. इसके बाद आजसू को 8 फीसदी और जेवीएम को 5.45 फीसदी वोट हासिल हुए. इसके अलावा बसपा को 1.53 फीसदी वोट मिले और लालू यादव की पार्टी आरजेडी को एक सीट के साथ 2.75 फीसदी वोट मिले हैं. चुनाव में अन्य के खाते में 10.63 फीसदी वोट गए हैं.