दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के बयानों को मद्देनजर रखते हुए उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए, 153 ए और 505 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और दिल्ली के जामिया में भड़काऊ भाषण देने वाले शरजील इमाम को पुलिस लगातार तलाश कर रही है. लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा है. शरजील की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली और अलीगढ़ पुलिस की टीम दिल्ली, यूपी समेत बिहार में भी छापेमारी कर रही हैं. उसके खिलाफ दिल्ली और अलीगढ़ पुलिस मे मामला दर्ज किया है. उस पर आईपीसी की 3 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
कौन है शरजील इमाम
शरजील मूल रूप से बिहार की राजधानी पटना का रहने वाला है. वह वर्तमान में जवाहरलाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का छात्र है. जहां से वो स्कॉलरशिप के साथ पीएचडी कर रहा है. हाल ही में उसके कुछ वीडियो सामने आए हैं. जिनमें वो सीएए और एनआरसी के विरोध में भड़काऊ और आपत्तिजनक भाषण दे रहा है. उसने 13 दिसंबर 2019 को जामिया में इसी तरह का भड़काऊ भाषण दिया था. उसके बाद सरकार के खिलाफ उसका एक और भड़काऊ भाषण सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हो रहा है. अब गिरफ्तारी के डर से शरजील इमाम फरार है. 2 दिन से उसका मोबाइल फोन भी बंद आ रहा है. शरजील की लास्ट लोकेशन पटना के पास दिघा मार्ग की थी. उसकी तलाश में बिहार के जहानाबाद में भी छापेमारी की गई है. उधर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि वह शरजील की गर्दन काटने वाले को अपनी निजी कमाई से 1 करोड़ रुपया इनाम देगा.
शरजील के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा
दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के बयानों को मद्देनजर रखते हुए उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए, 153 ए और 505 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है. इन धाराओं का इस्तेमाल शब्दों द्वारा अपराध, या तो बोला गया या लिखित रूप से कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ असहमति. अलग धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने के इरादे से बयान देना या उन्हें बढ़ावा देना. सार्वजनिक उपद्रव के लिए जिम्मेदार बयान भी इसकी वजह हो सकते हैं. इन धाराओं में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की कैद हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. अब आपको विस्तार से बताते हैं इन धाराओं के बारे में.
आईपीसी की धारा 124 ए
भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड की धारा 124 ए को ही राजद्रोह का कानून कहा जाता है. अगर कोई व्यक्ति देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधि को सार्वजनिक रूप से अंजाम देता है तो वह 124 ए के अधीन आता है. साथ ही अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है. राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है. इन गतिविधियों में लेख लिखना, पोस्टर बनाना, कार्टून बनाना जैसे काम भी शामिल हैं. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर शख्स को 3 साल की कैद से लेकर अधिकमत उम्रकैद की सजा का प्रावधान है.
कानून का इतिहास
यह कानून अंग्रेजों के जमाने का है. यह कानून अंग्रेजों ने 1860 में बनाया था. 1870 में इसे आईपीसी में शामिल कर दिया गया. उस वक्त अंग्रेज इस कानून का इस्तेमाल उन भारतीयों के लिए करते थे, जो अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाते थे. आजादी की लड़ाई के दौरान भी देश के कई क्रांतिकारियों और सैनानियों पर इस धारा के तहत मामले दर्ज किए गए थे. आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक को भी इस कानून के चलते सजा दी गई थी. तिलक को 1908 में उनके एक लेख की वजह से 6 साल की सजा सुना दी गई थी. वहीं महात्मा गांधी को भी अपने लेख की वजह से इस कानून के तहत आरोपी बनाया गया था. देश आजाद होने के बाद इस कानून में कई बदलाव भी किए गए हैं. अगर हाल ही के चर्चित मामलों की बात करें तो पिछले सालों में काटूर्निस्ट असीम त्रिवेदी, हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार आदि को इस कानून के तहत ही गिरफ्तार किया गया था.