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शनिवार, 24 जुलाई 2021

मायावती की BSP भी अब भाजपा की तरह हिन्दुत्व की नैया पर सवार! 2007 वाली रणनीति से पूरा होगा मिशन 2022?

बसपा द्वारा मिशन-2022 के लिए अयोध्या से ब्राह्मण संगोष्ठी की शुरुआत करने के साथ ही यह चर्चा गर्म हो गई है कि क्या बसपा भी भाजपा और अन्य सियासी दलों की तर्ज पर नरम हिन्दुत्व के रास्ते पर आ गई है? कमोबेश उसके ब्राह्मण सम्मेलनों के समय और स्थान में अयोध्या, मथुरा और वाराणसी के शामिल होने और अयोध्या में रामलला के दर्शन के साथ सम्मेलन की शुरुआत करने को लेकर ऐसे सवाल उठना लाजि़मी हैं। बहुजन समाज पार्टी ने वर्ष 2007 की तरह इस बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग की कवायद शुरू की है।

कभी तिलक, तराजू और तलवार को लेकर विवादित नारे देने वाली बसपा का यह पैंतरा यूं ही नहीं है। दरअसल, वर्ष 2007 में ब्राह्मणों के साथ ही क्षत्रियों को संग लेकर बसपा अपने बलबूते सत्तारूढ़ हुई थी। वक्त के साथ उसकी इस सोशल इंजीनियरिंग की धार भोथरी हो गई। विधानसभा चुनाव 2017 में बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में वर्ष 2007 की तुलना में 8.2 फीसदी की गिरावट हो गई। यह क्रमश: वर्ष 2012 में 25.95 फीसदी रहा था और वर्ष 2017 में 22.23 फीसदी के साथ सिर्फ 19 सीटें आई थीं।

बसपा ने अब वोट प्रतिशत बढ़ाने के मद्देनज़र ही 75 जिलों में ब्राह्मण संगोष्ठियां करने का फैसला किया है। इसके तहत मथुरा, काशी और प्रयागराज में कार्यक्रम होंगे। ऐसे में बसपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा अयोध्या में रामलला के दर्शन करने की तरह ही अन्य मंदिरों में भी दर्शन कर कार्यक्रम शुरू करें तो हैरत नहीं। राजनीतिक विश्लेषक पूर्व आईजी अरुण कुमार गुप्ता कहते हैं-‘बसपा को यह बखूबी एहसास हो चुका है कि बिना बेस वोट बैंक में अन्य मतदाताओं को जोड़े उसका सत्ता हासिल करना मुश्किल है। लिहाजा अब यह नरम हिन्दुत्व या यूं कहें ब्राह्मण वोट कार्ड खेलकर भाजपा के वोटों में सेंधमारी की कोशिश की जा रही है।’

सपा-कांग्रेस भी पीछे नहीं

गौरतलब है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव कुछ दिन पहले ही चित्रकूट के दौरे पर गए थे। उन्होंने वहां मंदिरों के दर्शन किए और परिक्रमा भी की। अखिलेश कहते रहे हैं कि राम भाजपा के ही नहीं हैं बल्कि उनके तो राम और कृष्ण दोनों हैं। अपने वोट बैंक के साथ ही ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए उन्होंने भी ब्राह्मण नेताओं को टिकट दिए। यही नहीं परशुराम जयंती का भी पार्टी मुख्यालय में आयोजन करवा कर उन्होंने संदेश देने की कोशिश की।

कुछ इसी तर्ज पर प्रियंका व राहुल गांधी भी यूपी दौरों के दौरान चुनाव प्रचार की शुरुआत किसी न किसी मंदिर से दर्शन कर करते रहे हैं। अब बसपा का यह नया दांव कितना असरकारी होगा, यह मिशन-2022 के परिणाम बताएंगे। वैसे कभी मायावती के साथ रहे मौजूदा भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक कहते हैं-‘ब्राह्मण अब दोबारा नहीं ठगे जाएंगे। वे बसपा का चरित्र समझ चुके हैं। बसपा का यह दांव अब अप्रासंगिक हो चुका है।’

बसपा का वोट प्रतिशत और सीटें
वर्ष सीटें वोट प्रतिशत

2007                                                 206                                          30.43 प्रतिशत
2012                                                 80                                            25.95 प्रतिशत
2017                                                19                                             22.23 प्रतिशत

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