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रविवार, 16 जनवरी 2022

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की पहली लिस्ट से समाजवादी पार्टी को लगेगा झटका? जानें OBCs को कितने टिकट

नामों की घोषणा के दौरान प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि बीजेपी ने एक सामान्य सीट से भी दलित को अपना उम्मीदवार बनाया है।


HIGHLIGHTS
  • बीजेपी के उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने बीजेपी के 107 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की।
  • भारतीय जनता पार्टी ने 16 जाट सहित 44 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है।
  • भारतीय जनता पार्टी ने अगड़ी जाति के 43 और अनुसूचित जाति के 19 नेताओं को भी टिकट दिया है।
नयी दिल्ली: समाजवादी पार्टी की ओर से पिछड़ा विरोधी होने के लगाए जा रहे आरोपों की धार को कुंद करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को ‘मंडल’ राजनीति का एक अलग खाका पेश करते हुए 107 उम्मीदवारों की पहली सूची में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व पिछड़ों को प्रदान किया। साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विरोधी दलों के गठबंधन की काट के लिए जाट नेताओं पर भरपूर भरोसा जताया गया। सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन किया है। केंद्रीय मंत्री व बीजेपी के उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने बीजेपी के 107 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की।

‘बीजेपी ने सामान्य सीट से भी दलित को बनाया उम्मीदवार’

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने 16 जाट सहित 44 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। पार्टी ने अगड़ी जाति के 43 और अनुसूचित जाति के 19 नेताओं को भी टिकट दिया है। उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के दौरान प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि बीजेपी ने एक सामान्य सीट से भी दलित को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन पार्टी ने उन्हें गोरखपुर से चुनाव मैदान में उतार दिया। पार्टी के इस फैसले को आगामी चुनाव को ‘मंडल बनाम कमंडल’ बनाने की विरोधी दलों की कोशिशों से बीजेपी की सावधानी बरतने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

बीजेपी ने OBC और दलित मतदाताओं को पक्ष में करने के लिए काम किया

बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी हिन्दुत्व की राजनीति को धार देती रही है लेकिन इसके साथ ही उसने केंद्र सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और राजनीतिक नेतृत्व के जरिए बड़ी संख्या में OBC और दलित मतदाताओं को पक्ष में करने के लिए काम किया है। पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी के हाथों लगातार पराजय का सामना कर चुके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ी संख्या में राज्य की सत्ताधारी पार्टी के ओबीसी नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराने में सफलता हासिल की है। ऐसे चेहरों में सबसे प्रमुख स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं। ऐसा करके अखिलेश ने मुस्लिम-यादव समीकरण से बाहर निकल कर अपनी पार्टी का सामाजिक दायरा बढ़ाने की कोशिश भी की है।

प्रधान ने कहा, बीजेपी एक बड़ी पार्टी है और लोग आते-जाते रहते हैं

स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा जितने भी बीजेपी के नेता पिछले दिनों पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं, लगभग सभी ने सत्ताधारी दल को पिछड़ा व दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है। बड़ी संख्या में बीजेपी विधायकों के पार्टी छोड़ने और समाजवादी पार्टी में शामिल होने के सवाल पर प्रधान ने कहा कि उनकी पार्टी बड़ी है और लोग आते-जाते रहते हैं लेकिन चुनाव में मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता, केंद्र व राज्य सरकार का प्रदर्शन और उनके द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं हैं।

प्रधान ने बीजेपी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने का दावा किया

यह पूछे जाने पर कि पार्टी ने किस जाति के कितने नेताओं को टिकट दिया है, इसके जवाब में प्रधान ने कहा कि यदि आप सूची पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि यह सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 5 वर्षों में योगी आदित्यनाथ ने राज्य को कल्याणकारी, सर्वस्पर्शी और संवेदनशील सरकार दी है, उन्होंने राज्य को भ्रष्टाचार और दंगामुक्त किया है। उन्होंने चुनावों में बीजेपी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने और 300 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया। पहले दो चरणों में जिन इलाकों में मतदान होना है, वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाट बाहुल्य वाला इलाका है।

पार्टी ने जाट समुदाय के 16 किसानों को भी टिकट दिया

केंद्र सरकार के 3 विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से अधिक समय तक चले आंदोलन में इस क्षेत्र के जाटों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी ने जाट समुदाय के 16 किसानों को भी टिकट दिया है। ऐसा करके पार्टी ने भरोसा जताया है कि उसे जाटों का वोट मिलेगा। बीजेपी द्वारा बड़ी संख्या में जाटों को टिकट दिए जाने के पीछे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा और RLD गठबंधन द्वारा बड़ी संख्या में मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाया जाना माना जा रहा है। बीजेपी ने अपनी पहली सूची में एक भी मुसलमान को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है।

गुर्जर समुदाय से 7, लोध समाज से 6 लोगों को टिकट दिया गया

बीजेपी की पहली सूची में गुर्जर समुदाय से 7, लोध समाज से 6 और सैनी समाज से 5 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। पार्टी ने अन्य पिछड़े वर्ग के अन्य नेताओं को भी टिकट दिया है। बीजेपी की पहली सूची में 19 दलितों को टिकट दिया है और इनमें से 13 जाटव हैं। राज्य की पूरी दलित आबादी में आधी आबादी जाटवों की है, जो लंबे समय तक बहुजन समाज पार्टी को एक बड़ा वोट बैंक रहा है। इतनी संख्या में जाटवों को बीजेपी द्वारा टिकट दिए जाने को बीएसपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की उसकी कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

18 राजपूत, 10 ब्राह्मण और 8 वैश्य समुदाय के लोगों को मिला टिकट

ज्ञात हो कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कभी बसपा बड़ी संख्या में सीटें जीतती थी। पार्टी ने जिन 43 सीटों पर सामान्य जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है, बीजेपी सूत्रों के मुताबिक उनमें 18 राजपूत, 10 ब्राह्मण और 8 वैश्य समुदाय से हैं। उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में मतदान होना है। इसकी शुरुआत 10 फरवरी को राज्य के पश्चिमी हिस्से के 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान के साथ होगी। दूसरे चरण में 14 फरवरी को राज्य की 55 सीटों पर मतदान होगा।

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अकेले जीती थीं 312 सीटें

उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीसरे चरण में 59 सीटों पर, 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों पर, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 60 सीटों पर, 3 मार्च को छठे चरण में 57 सीटों पर और 7 मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होगा। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अकेले 312 और उसके सहयोगियों को 13 सीटों पर जीत मिली थी। सत्ता गंवाकर प्रमुख विपक्षी दल बनी समाजवादी पार्टी सिर्फ 47 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी।

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