वाराणसी। बारिश में अक्सर विभिन्न संक्रामक बीमारियां अपना पैर पसारने लगती हैं। इसलिए डेंगू, मलेरिया आदि मच्छर जनित बीमारियों से सतर्क रहने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग ने इन बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। संयुक्त निदेशक व वेक्टर जनित बीमारियों के नोडल अधिकारी डॉ जीसी द्विवेदी ने सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी, जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे व मंडलीय एंटोमोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह से वार्ता कर डेंगू से बचाव, प्रबंधन आदि तैयारियों को लेकर विस्तार से चर्चा की।
डॉ द्विवेदी ने कहा कि पिछले वर्ष के सापेक्ष वर्तमान में मच्छर जनित रोग के संचरण काल के दृष्टिगत जनपद में डेंगू, मलेरिया एवं अन्य रोग के प्रभावित क्षेत्रों (हॉट स्पॉट जॉन) में एण्टोमोलाजिकल सर्विलांस कार्य जैसे मच्छरों का घनत्व एवं बुखार से ग्रसित रोगियों की सूचना एवं स्क्रीनिंग कार्य किया जाना आवश्यक है। इसके लिए प्रभावित क्षेत्रों में नियंत्रण के लिए कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।
सीएमओ ने बताया कि जनपद में डेंगू से बचाव व प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके लिए डीडीयू चिकित्सालय पाण्डेयपुर, एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा, एलबीएस चिकित्सालय रामनगर सहित अन्य ब्लॉक स्तरीय समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों को मच्छरदानी युक्त बेड आरक्षित करने को लेकर निर्देशित किया है। इसके साथ ही समस्त चिकित्सालयों व स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क जांच व उपचार की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ज़ोर दिया है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि डीडीयू चिकित्सालय में 20 और एसएसपीजी मंडलीय व एलबीएस चिकित्सालय में 15-15 मच्छरदानी युक्त बेड आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर दो-दो मच्छरदानी युक्त बेड आरक्षित किए गए हैं। प्रत्येक पीएचसी व सीएचसी पर फीवर हेल्प डेस्क स्थापित किया गया है। समस्त आशा कार्यकर्ता को रैपिड किट से मलेरिया जाँच की ट्रेनिंग दी गयी है। उनके द्वारा क्षेत्र में रैपिड किट से जाँच किया जा रहा है। समस्त ब्लाक पर रेपिड रिस्पोंस टीम (आरआरटी) का गठन कर लिया गया है। मलेरिया निरीक्षकों को एक-एक ब्लॉक का आवंटन किया गया है। समस्त स्वास्थ्यकर्मियों को वेक्टर सर्विलान्स का प्रशिक्षण दिया गया है।
जनपद स्तर पर जिला मलेरिया अधिकारी, क्षेत्रीय समन्वयक, एक इन्सेक्ट कलेक्टर को सम्मिलित कर जनपद स्तरीय वेक्टर सर्विलान्स टीम का गठन कर लिया गया है। प्रत्येक पीएचसी व सीएचसी पर माइक्रोस्कोपी टेस्ट को सुदृढ़ किया जा रहा है। उन्होने बताया कि पिछले वर्ष जनपद में डेंगू के 286 मरीज पाये गए थे। वर्तमान में जनपद में दो डेंगू के मरीज पाये गए थे, जो अब स्वस्थ हो चुके हैं।
बायोलोजिस्ट व मंडलीय एंटोमोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि डेंगू एक वायरल रोग है जिसमें तेज बुखार के साथ साथ तेज बदन दर्द, शरीर पर चकत्ते और लाल दाने हो सकते हैं। खून में प्लेटलेट्स की संख्या में तेजी से गिरावट होती है। बुखार न होने के पांचवें दिन बाद से प्लेटलेट्स घटने लगती हैं और मरीज स्वस्थ होने लगता है। डेंगू बुखार में किसी एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती है। डेंगू मरीज को शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। विटामिन सी का सेवन अधिक करना चाहिए। लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी चिकित्सालय पर नि:शुल्क जांच व उपचार की सुविधा मौजूद है।
इन बातों का विशेष ध्यान रखें –
- घरों के आसपास जल जमाव न होने दें,
- छत पर एवं घर के अंदर निस्प्रयोज्य डिब्बे, पात्र जिसमे जल एकत्र हो सकता हो उसे खाली कर दें,
- कूलर में पानी न रहने दें या हर दूसरे दिन पानी बदलते रहें,
- फ्रिज के पीछे प्लेट में पानी एकत्र न होने दें
- गमलों, नारियल के खोल, या निस्प्रयोज्य टायर, टंकी को जरूर से साफ करवाते रहें, एवं उनमें पानी एकत्र न होने दें।
- मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें
- पूरी बांह के कपड़े पहने
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