General को Reservation: 2019 में BJP को दोबारा सत्ता दिला पाएगा PM Modi का मास्टर स्ट्रोक?

भाजपा ने मध्यप्रदेश में चुकाई कीमत
तीनों ही राज्यों में जहां भाजपा की सरकारों के लिए सवर्णों को आरक्षण देना चुनौती थी, वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसे अहम राजनीतिक मुद्दा बनाया था। तीनों राज्यों में कांग्रेस बहुमत लाने में सफल भी हुई। खासकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो भाजपा का किला ही ढह गया था। मध्य प्रदेश में तो सवर्ण आंदोलन भी चला। हालांकि मुद्दा एससी-एसटी एक्ट का था। सवर्णों की नाराजगी की भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी और उसने मामूली अंतर से सत्ता गंवा दी।
ऐसे में चर्चा तेज है कि तीन राज्यों में करारी हार के बाद तो कहीं भाजपा ने यह फैसला नही किया। वहीं, इस फैसले पर देश की विभिन्न पार्टियों और नेताओं की प्रतिक्रिया पर गौर करें, तो किसी ने भी सीधे-सीधे इसका विरोध नहीं किया है। आम आदमी पार्टी ने इसके समर्थन का एलान किया तो कांग्रेस ने इसे जुमला बताया। सपा-बसपा जैसे कई दलों ने अभी देखो और इंतजार करो की नीति अपना ली है।
आम चुनाव में भाजपा को कितना लाभ मिल पाएगा?
मोदी कैबिनेट के निर्णय के अनुसार 10 प्रतिशत गरीब सवर्णों को आरक्षण दिया जाएगा। पहले से एससी, एसटी व ओबीसी को 49.5 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण दिया नहीं जा सकता, लेकिन मोदी सरकार ने संविधान में संशोधन कर संसद से बिल पास कराकर आरक्षण लागू कराने की बात कही है।
देखना दिलचस्प होगा कि आम चुनाव में एनडीए को इसका कितना लाभ मिल पाएगा और अब विपक्ष के पास कौन सा अहम मुद्दा शेष रह जाएगा। मोदी सरकार का दांव कांग्रेस के लिए संकट का सबब भी साबित हो सकता है क्योंकि जब बीजेपी ही आरक्षण जैसे बड़े मुद्दे पर आक्रामकता के साथ आगे बढ़ आई तो कांग्रेस के हाथ आए राफेल जैसे मुद्दे गौण ना हो जाएं।
वहीं, महागठबंधन के लिए भी हालात आसान नहीं रहने वाले। उसके लिए संकट यह है कि अगर सवर्णों को आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए संसद में बिल लाया जाता है, तो उसके पास क्या विकल्प होगा। कारण यह है कि आरक्षण ऐसा मुद्दा रहा है, जिसका कोई पार्टी सीधे विरोध नहीं कर सकती।