संसद में General Reservation बिल पारित होना मुश्किल, भारी हंगामे के आसार

राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। लोकसभा में बहुमत तो है, लेकिन सहयोगियों के साथ ही जरूरी संख्या नहीं है। चूंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए इसे पारित करने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता डेरेक ओ’ब्रायन का कहना था कि यह सिर्फ चुनावी जुमला है। यदि भाजपा आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए वास्तव में कुछ करना चाहती थी तो बिल को शीत सत्र के पहले दिन लाती, न कि अंतिम दिन।
आप सांसद संजय सिंह ने इसे बहुत देर से उठाया एक स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा कि अगर सरकार गंभीर थी तो उसे पांच साल पहले यह बिल लाना चाहिए था।
विपक्षी दलों के स्वागत के बावजूद इस बिल का पारित होना इसलिए भी मुश्किल है, क्योंकि कई विपक्षी सत्र के अंतिम दिन अपने-अपने मामलों को लेकर हंगामा कर सकते हैं। जहां सपा-बसपा सीबीआई और ईडी की कार्रवाई को मुद्दा बनाएगी, वहीं तृणमूल कांग्रेस नागरिकता कानून और कांग्रेस राफेल पर विरोध जताएगी।