अरविन्द केजरीवाल अपनी गलतियों से सीख रहे हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अति महत्वाकांक्षा में उन्होंने भारी संख्या में अपने उम्मीदवार पूरे देश भर में उतारे थे, लेकिन पार्टी को पंजाब छोड़ कहीं भी सफलता नहीं मिली। हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी पार्टी अपना ख़ास असर छोड़ने में नाकाम रही। मध्यप्रदेश में उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को भी करारी हार का सामना करना पड़ा। इन परिणामों से पार्टी ने यह सीख लिया है कि राजनीति लम्बी दूरी की मैराथन दौड़ है जहां एक झटके में सब कुछ नहीं पाया जा सकता। यहां कुछ पाने के लिए लम्बी योजना बनाने और उस पर सकारात्मक रूप से काम करने की आवश्यकता होती है।
आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के आवास पर कुछ दिन पहले एक बैठक हुई थी। इस बैठक में पार्टी के सभी शीर्ष नेता शामिल थे। बैठक में इस बात पर आम सहमति बनी थी कि पार्टी को एक ही बार में पूरे देश को टार्गेट करके नहीं चलना चाहिए। इसकी बजाय उसे चरणबद्ध तरीके से अलग-अलग राज्यों में खुद को मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए। इसी बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पार्टी की सबसे बड़ी प्राथमिकता आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दिलवाई जाए। इससे उसकी आवाज का राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा महत्व होगा। इस बात पर भी सहमति बनी थी कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में जितनी मेहनत की जायेगी, उससे कम मेहनत में दिल्ली, हरियाणा, गोवा जैसे छोटे राज्यों में सफलता पाई जा सकती है।
एक राष्ट्रीय दल की मान्यता चुनाव आयोग से मिलने के लिए कम से कम चार राज्यों में वैध वोटों का न्यूनतम छः फीसदी पाना अनिवार्य होता है, यही कारण है कि पार्टी ने अपने आधार वाले राज्यों दिल्ली और पंजाब के आलावा हरियाणा और गोवा को निशाने पर लिया। पार्टी का लक्ष्य है कि इस लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक मत फीसद और सीटें लाकर एक राष्ट्रीय दल के रूप में खुद को स्थापित किया जाए।
कहां मिली कितनी सफलता
आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली उसकी राजनीति का गढ़ रहा है। यहां पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही कोई सफलता न अर्जित की हो, लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की। उसने रिकॉर्ड तोड़ 54.3 फीसदी वोट हासिल करते हुए 70 में से 67 सीटें जीत लीं। उसे कुल 28,91,510 वोट मिले। दिल्ली के बाद पंजाब आप के लिए सबसे ज्यादा फलदायक साबित हुआ जहां उसने चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। उसे कुल 24.4 फीसदी वोट हासिल हुए थे। पंजाब के पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को बीस सीटों पर सफलता मिली थी। उसे कुल 23.80 फीसदी वोट हासिल हुए थे। यानी दिल्ली और पंजाब में पार्टी मजबूत स्थिति में है।
पार्टी ने गोवा में भी ठीक-ठाक प्रदर्शन किया था। उसे पिछले गोवा विधानसभा चुनाव में कुल 57,420 यानी वैध मतों का 6.3 फीसदी वोट मिल गया था। उसे पूरी उम्मीद है कि वह इस बार भी गोवा में जरूरी वोट फीसद पाने में कामयाब रहेगी। अगर इन राज्यों के साथ हरियाणा में भी पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर दे तो उसकी राष्ट्रीय पार्टी बनने की इच्छा पूरी हो सकती है। अरविन्द केजरीवाल का गृहराज्य होने के कारण पार्टी के लिए हरियाणा से अच्छी उम्मीद है। पंजाब और हरियाणा का केंद्र होने के कारण पार्टी चंडीगढ़ में भी खुद को मजबूत स्थिति में देख रही है।
क्या कहते हैं आप नेता
आम आदमी पार्टी नेता अक्षय मराठे ने कहा कि हम इस चुनाव में बड़ी सफलता हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं। दिल्ली, पंजाब और गोवा में पार्टी ने जमीनी स्तर पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। हरियाणा में भी पार्टी के लिए अच्छी सम्भावना है। दिल्ली से सटे होने के कारण भी पार्टी लाभ की स्थिति में है। ऐसे में उन्हें विश्वास है कि इस बार आप राष्ट्रीय दल का दर्जा अवश्य हासिल कर लेगी।