Ram Temple निर्माण के लिए भूमि पूजन का प्रस्ताव पास, स्वरूपानंद बोले- 21 को करेंगे Ayodhya कूच
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
कुंभ मेले में हुई तीन दिनी परमधर्मसंसद के समापन पर बुधवार को राम जन्मभूमि पर इष्टिका न्यास अर्थात वेदों के अनुसार मंदिर निर्माण के पहले की जाने वाली शास्त्रीय विधि की तिथि घोषित कर दी गई। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने दो टूक कहा कि वसंत पंचमी के बाद प्रयागराज से अयोध्या के लिए किसी भी दिन कूच किया जाएगा और 21 फरवरी को अयोध्या में इष्टिका (ईंट), शिला पूजन किया जाएगा। इसके लिए यदि हमें गोली खानी या जेल भी जाना पड़े तो हम तैयार हैं।
बतौर परमधर्माधीश उन्होंने परम धर्मादेश देते हुए हिंदू जनमानस से कहा कि जब तक श्री राम जन्मभूमि का निर्णय नहीं हो जाता या राम जन्म भूमि प्राप्त नहीं हो जाती है, प्रत्येक हिंदू चार इष्टिकाओं (ईंटें) अयोध्या ले जाकर उसका वेदोक्त पूजन करे चाहे इसके लिए उसे गिरफ्तारी ही क्यों न देनी या जेल जाना पड़े। यह क्रमिक रामाभिमानी सविनय अवज्ञा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक मंदिर बनाने के लिए राम जन्म भूमि हिंदुओं को सौंप नहीं दी जाती और उस पर मंदिर निर्माण नहीं कर लेते।
उन्होंने नारा दिया, ‘घास की रोटी खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे और राम लला हम आ रहे हैं, मन्दिर वहीं बना रहे हैं।’ बोले, राम अयोध्या से प्रयागराज आए थे, ऐसे में हम प्रयागराज से अयोध्या जाएंगे। हम व्यक्ति नहीं उसकी ओर से किए गए कार्यों का विरोध करते हैं। राम महापुरुष नहीं साक्षात् परब्रह्म हैं, ऐसे में उनका पुतला नहीं उनका मन्दिर चाहिए। यह भी कि कहीं और नहीं जन्मभूमि पर ही मन्दिर बने। हम अपने धार्मिक अधिकार के लिए खडे़ हैं। इसके लिए शांति से सत्याग्रह होगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राम के नाम पर लिए गए चंदे और ईटों का कोई हिसाब नहीं है।
निर्वाणी अखाडे़ के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानन्द ने कहा कि रामजन्मभूमि स्थान को दुनिया की कोई ताकत नहीं छीन सकती। वहीं मंदिर बनना चाहिए। जूना अखाड़े के स्वामी आनन्द गिरि ने कहा कि राम मंदिर को ‘गुजरातियों के गैंग’ से मुक्त कराना है। विश्वेश्वरानन्द ने कहा, नेता ठाठ में हैं और राम जी टाट में हैं। दिगंबर अखाडे़ के महामंडलेश्वर बालक दास ने कहा कि नेताओं को अपने वोट की चिन्ता है, भले ही राम ऐसे ही रहे। हमें तो बस आदेश की प्रतीक्षा है, हजारों उनके पीछे चलेंगे। इससे पहले धर्मसंसद में हिंदुओं के मानबिंदुओं से जुड़े कई प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किए गए। संचालन उनके प्रतिनिधि शिष्य और प्रवर धर्माधीश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने किया।
परम संसद में कहा गया कि आज गली गली में धर्म संसद हो रही है। गृहस्थ लोग धर्म संसद नहीं बुला सकते हैं। 21 फरवरी को सभी हिन्दू 4-4 के गुट में 4-4 शिला लेकर अयोध्या पहुंचे। क्योंकि 4 लोगों पर धारा 144 नहीं लागू होती, 5 लोगों के झुंड पर धारा 144 लगती है। वहीं, नन्दा, जया, भद्रा, पूर्णा नाम की 4 शिलाएं शंकराचार्य को सौंपी गई। इन्हीं चार नाम की शिला लेकर 21 फरवरी को अयोध्या पहुंचने के लिए परम धर्म संसद ने सभी हिंदुओं का आह्वान किया है।
अकाल तख्त, संतों ने दिया समर्थन
परमधर्मसंसद के प्रस्ताव को सिखों के अकाल तख्त ने लिखित समर्थन दिया । इसी तरह कामता पीठ के राजीव लोचन दास,महाराजमणि शरण सनातन,स्वामी चक्त्रस्पाणि आदि ने कहा, हम शंकराचार्य जी के साथ हैं। उनके नेतृत्व में हम सभी राम मन्दिर के लिए चलेंगे।
विभिन्न दलों के प्रतिनिधि भी जुटे
परमधर्मसंसद में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, अखिल भारतीय जनसंघ तथा राम राज्य परिषद् सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी अपना पक्ष रखा। वानर सेना के संजीव राठौड़ ने शंकराचार्य जी को गदा समर्पित किया जबकि रसिक पीठाधीश्वर ने पादुका पूजन किया। प्रख्यात गांधीवादी चिंतक सुब्बाराव ने साथियों संग सर्व धर्म समभाव गीत प्रस्तुत किया।