Bengal की सभी सीटों पर तृणमूल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे कांग्रेस और वाम दल: Mamata Banerjee

दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव कांग्रेस और वाम दलों ने मिलकर लड़ा था। लेकिन त्रिकोणीय मुक़ाबलों में ममता बनर्जी ने 293 सीटों वाली विधानसभा में 211 सीटें यानी लगभग तीन चौथाई सीटें जीती थीं। इसीलिए इस बार वाम दल और कांग्रेस अलग-अलग लड़ेंगे। उनका मानना है कि दोनों के समर्थक सालों से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते आए हैं इसलिए वे इस दोस्ती को स्वीकार नहीं कर पाए।
पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 में से कांग्रेस को चार, माकपा को दो और भाजपा को दो सीटें मिलीं थीं। शेष 34 सीटें तृणमूल कांग्रेस की झोली में गईं थीं। तब भी सभी दल अलग-अलग लड़े थे।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बार कांग्रेस और वाम दल अपनी जीती हुई सीटों पर समझौता कर सकते हैं। पिछली बार माकपा ने रायगंज (मो. सलीम) और मुर्शिदाबाद (बदरुद्दीन खान) सीटें जीती थीं। इस बार इन सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
इसी तरह कांग्रेस के चार उम्मीदवार जंगीपुर से पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पुत्र अभिजीत, बेहरामपुर से तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी, माल्दा उत्तर से मौसम नूर और माल्दा दक्षिण से एएच गनी खान चौधरी जीते थे। संभावना है कि इसबार इन सीटों पर वाम कल अपने उम्मीदवार न उतारें। शेष 36 सीटों पर वाम कल और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकेंगे। हां, एक दो सीटों पर जहां दोनों पार्टियों के पिछली बार के वोट मिलकर तृणमूल से ज्यादा होंगे, वहां भी तालमेल संभव है।
ममता के आंदोलन के पीछे यह कारण
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पुलिस कमिश्नर के मामले पर केंद्र सरकार के विरोध में तीन दिवसीय धरने पर बैठने के बहाने ममता बनर्जी खुद को भाजपा के खिलाफ सबसे ताकतवर पार्टी दिखाना चाहती थीं ताकि राज्य में तीस फीसदी अल्पसंख्यक कांग्रेस या वाम दलों के खेमे में न चलें जाएं।