Mamata बोलीं- जान देने को तैयार हूं, लेकिन समझौता नहीं करूंगी, धरना जारी

चिटफंड घोटाले की जांच के सिलसिले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त से सीबीआई की पूछताछ की कोशिशों के विरोध में धरने पर बैठी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि देश व संविधान की रक्षा तक उनका सत्याग्रह जारी रहेगा।
अपने विरोध को गैर-राजनीतिक बताते हुए दावा किया कि देश के विभिन्न हिस्सों से उन्हें समर्थन मिल रहा है। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से शांतिपूर्ण विरोध सुनिश्चित करने को कहा है। पार्टी ने सोमवार को पूरे राज्य में रैलियां निकाल कर विरोध जताया।
ममता ने रविवार रात खाना नहीं खाया और पूरी रात वहीं जमी रहीं। धरने के लिए रातोंरात मंच तैयार किया गया। बड़ी संख्या में तृणमूल नेता व समर्थक रात से ही मौके पर पहुंचने लगेे। सोमवार को पूरे दिन सिलसिला जारी रहा। धरने में पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी पर मुख्यमंत्री ने कहा, यह सरकार का कार्यक्रम है, इसलिए अधिकारी मौजूद हैं।
गौरतलब है कि कोलकाता में रोजवैली और शारदा चिटफंड घोटाले की जांच से जुड़ी फाइलें गायब होने को लेकर कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करने पहुंचे 15 सीबीआई अधिकारियों और स्थानीय पुलिस के बीच रविवार को टकराव हुआ। कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के सभी अधिकारियों को हिरासत में लिया। इसके बाद सीएम ममता बनर्जी भी अपने अधिकारी के पक्ष में धर्मतल्ला इलाके में धरने पर बैठ गईं।
मुख्यमंत्री, प्रदेश के डीजीपी और मेयर भी कमिश्नर के घर पहुंचे। इस पूरे घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जंग का एलान कर दिया। ममता बनर्जी का केंद्र सरकार के खिलाफ धरना जारी है। चालीस करोड़ रुपये के शारदा चिट-फंड घोटाले में रविवार को कोलकाता पुलिस और सीबीआई में तनातनी के बाद कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद हो गया। इन सबने केंद्र सरकार को जमकर कोसा।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी रविवार रात को आठ बजे से ही केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठी हुई हैं। यह धरना उन्होंने राज्य के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को चिटफंड घोटाले के आरोप में गिरफ्तार करने के लिए आए सीबीआई अधिकारियों के विरोध में बैठी हैं। उनका कहना है कि यह संकट खत्म न होने तक उनका धरना जारी रहेगा।
क्या हैं कानूनी पहलू
संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि सीबीआई के पास बंगाल में जांच करने का अधिकार नहीं है। 16 नवंबर 2016 को बंगाल सरकार ने दिल्ली पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सीबीआई को दी गई मान्यता और सहमित को वापस ले लिया था। जिसके बाद से जांच एजेंसी बिना रोक-टोक राज्य में कोई कार्य नहीं कर सकती है। अब उसे कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति चाहिए।
सीबीआई के पूर्व निदेशक एपी सिंह का कहना है कि सीबीआई अधिकारियों को हिरासत में लेना गलत है। मेरा मानना है कि इस तरह की कार्रवाई के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से बात करनी चाहिए थी। यदि सरकार अनुमति नहीं देती तो सीबीआई को किसी भी तरह के टकराव से बचते हुए कोर्ट के पास जाना चाहिए था।
यह हैं आगे के कानूनी विकल्प
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने बताया कि केंद्र और राज्य की एजेंसियां एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी हैं। यह एक संवैधानिक संकट है। ऐसे में कलकत्ता हाईकोर्ट चाहे तो संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत स्वत: संज्ञान ले सकता है। दोनों पक्षों के अधिकारों को हाईकोर्ट तय करेगा।
संविधान विशेषज्ञ के मुताबिक यदि राज्य सरकार सीबीआई को रोकती है तो इससे कानून व्यवस्था बिगड़ जाएगी। ऐसे में केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य सरकार के शासन को खत्म करके वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है।
क्या है चिटफंड घोटाला
पश्चिम बंगाल से जुड़े शारदा ग्रुप ने 2013 में गलत तरीके से निवेशकों से पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया। शारदा ग्रुप पर करीब 10 लाख निवेशकों से 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी करने का अनुमान है।
वहीं रोजवैली के अध्यक्ष गौतम कुंडु पर आरोप है कि उन्होंने चिटफंड योजनाओं के जरिये छोटे निवेशकों के साथ करीब 17,000 करोड़ रुपये की ठगी की है। माना जाता है कि इन दोनों कंपनियों के तार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से भी जुड़े हुए हैं।
हाई प्रोफाइल हस्तियों से जुड़े हैं दोनों मामले
दोनों चिटफंड घोटालों की जांच सीबीआई कर रही है। इस मामले में 11 जनवरी को सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। शारदा घोटाले में संलिप्तता के चलते तृणमूल नेता कुणाल घोष भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
रोज वैली चिटफंड घोटाले में शामिल होने के आरोप में टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और तापस पॉल को सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है। शारदा के चेयरमैन सुदीप्त सेन हैं। सेन पर आरोप है कि उन्होंने कथित फ्रॉड करके फंड का गलत इस्तेमाल किया।