डिंपल यादव का सामना सुब्रत पाठक से, कौन मारेगा बाजी?: कन्नौज सीट

2014 के लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को 4,89,164 वोट और भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक को 4,69,257 वोट मिले थे। यानी जीत का अंतर ज्यादा नहीं था। इस बार भी यहां कांटे का मुकाबला होने की उम्मीद है।
डिंपल यादव- 4,89,164 वोट
सुब्रत पाठक- 4,69,257 वोट
दोनों पुराने चेहरे
कन्नौज लोकसभा सीट से डिंपल यादव फिर से चुनावी मैदान में हैं। इसबार वो सपा- बसपा और आरएलडी की संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर वहां से चुनाव लड़ रही हैं। जबकि भाजपा ने एक बार फिर से अपने पुराने प्रत्याशी सुब्रत पाठक के कंधे पर डिंपल को मात देने की जिम्मेदारी सौंपी है। डिंपल के पक्ष में अखिलेश यादव ने यहां जबरदस्त प्रचार किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी यहां रैली की।
मुस्लिम-यादव मतदाताओं का वर्चस्व
इत्र के शहर कहे जाने वाले कन्नौज लोकसभा सीट के अंतर्गत उत्तर प्रदेश की पांच विधानसभा की सीटें आती हैं। 18 लाख के करीब मतदाता वाले कन्नौज लोकसभा सीट पर मुस्लिम और यादव मतदाताओं का वर्चस्व रहा है। यहां 6 लाख के करीब मुस्लिम वोटर हैं तो 3 लाख के करीब यादव मतदाता मैजूद है। जो सपा के लिए निर्णायक साबित होते रहे हैं। इसके अलावा राजपूत वोटर भी 3 लाख के करीब और ओबीसी मतदाताओं में लोधी, कुशवाहा, पटेल और बघेल भी अच्छी संख्या में कन्नौज की सीट पर अपनी उपस्थिती दर्ज कराते रहे हैं।
1998 से ही सपा का कब्जा
कन्नौज की लोकसभा सीट पर सपा ने 1998 से कब्जा जमाया हुआ है। सपा ने ये सीट भाजपा के सांसद चंद्रभूषण सिंह से छीनी थी। 1998 बाद के हुए लोकसभा के हर चुनाव में सपा ने इस सीट पर अपनी जीत बरकार रखी है। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बादजूद डिपंल यादव ने यहां से जीत दर्ज की थी।
अखिलेश ने कन्नौज से किया था सियासी पारी का आगाज
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी सियासी पारी का आगाज कन्नौज लोकसभा सीट पर साल 2000 में हुए उप चुनाव से किया था। अखिलेश यादव उसके बाद यहां से तीन बार सांसद रहे और जब 2012 में वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने ये सीट खाली कर दी। जिसके बाद हुए उप चुनाव में डिंपल यादव यहां से निर्विरोध चुनकर ससंद पहुंची थी। कन्नौज से डिंपल यादव एक बार से चुनावी मैदान में हैं।