पूर्वी UP में Mayawati का ‘बाहुबली’ दांव, 16 सीटों पर प्रत्याशियों का एलान

पश्चिम में मुस्लिम-एससी, पूर्वांचल में पिछड़ा-ब्राह्मण पर जोर
बसपा ने पश्चिमी यूपी में टिकट वितरण में मुस्लिम व अनुसूचित जातियों के समन्वय पर ध्यान दिया था। पूर्वी यूपी में सोशल इंजीनियरिंग पर लौट आई है। पार्टी ने तीन सुरक्षित सीटों बांसगांव से पूर्व मंत्री सदल प्रसाद, लालगंज से संगीता आजाद (लालगंज विधायक आजाद अरिमर्दन की पत्नी) और मछलीशहर से टी. राम के अलावा चार-चार ब्राह्मण व पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं। संतकबीरनगर से कुशल तिवारी, प्रतापगढ़ से अशोक त्रिपाठी, अंबेडकरनगर से रितेश पांडेय और भदोही से पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र को टिकट दिया है।
अब एससी के साथ पिछड़ों को तवज्जो
बसपा ने अपनी 38 सीटों में सोशल इंजीनियरिंग का नया प्रयोग किया है। कभी ब्राह्मण-मुस्लिम और एससी (बीएमडी) को तवज्जो की सोशल इंजीनियरिंग करने वाली बसपा ने इस बार एससी-ओबीसी को 10-10 सीटें दी हैं। जिताऊ प्रत्याशी के रूप में ब्राह्मण व मुस्लिम व अन्य वर्ग को मौका मिला है। 38 में 10 सुरक्षित सीटों पर एससी, 10 पिछड़ों में 4 कुर्मी, 2-2 यादव व गूजर तथा 1-1 कुशवाहा व जाट हैं। 6-6 ब्राह्मण और मुस्लिम तथा 3 वैश्य, 2 ठाकुर व 1 भूमिहार को टिकट मिला है।
राजनीति को सही दिशा देने की जिम्मेदारी राजनीतिज्ञों पर है। वे उदासीन बने रहे तो मतदाताओं ने बाहुबलियों को वोट के जरिए हतोत्साहित करना शुरू किया। यही कारण है कि इस बार कई दलों ने बाहुबलियों को टिकट देने में संकोच किया। फिर भी, कुछ दलों ने सिर्फ जीत के लिए बाहुबलियों को तवज्जो दी है। मतदाताओं की जिम्मेदारी है वे स्वस्थ लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभाएं। -प्रो. एसके द्विवेदी, राजनीतिशास्त्री