शाह की टीम के वे 3 नेता, जिन्होंने परदे के पीछे रहकर तोड़ा ममता का दुर्ग - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

.

अन्य विधानसभा क्षेत्र

बेहट नकुड़ सहारनपुर नगर सहारनपुर देवबंद रामपुर मनिहारन गंगोह कैराना थानाभवन शामली बुढ़ाना चरथावल पुरकाजी मुजफ्फरनगर खतौली मीरापुर नजीबाबाद नगीना बढ़ापुर धामपुर नहटौर बिजनौर चांदपुर नूरपुर कांठ ठाकुरद्वारा मुरादाबाद ग्रामीण कुंदरकी मुरादाबाद नगर बिलारी चंदौसी असमोली संभल स्वार चमरौआ बिलासपुर रामपुर मिलक धनौरा नौगावां सादात

मंगलवार, 28 मई 2019

शाह की टीम के वे 3 नेता, जिन्होंने परदे के पीछे रहकर तोड़ा ममता का दुर्ग

लोकसभा चुनाव के रण में पश्चिम बंगाल में बीजेपी की 'जादुई' सफलता की पटकथा लिखने वाले उन तीन नेताओं के बारे में जानिए. जिन्हें मोदी और शाह ने ममता बनर्जी के गढ़ को भेदने के लिए मोर्चे पर लगाया था.


मोदी का चेहरा, अमित शाह की रणनीति और तीन नेताओं की जमीन पर कड़ी मेहनत. इसके दम पर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में इतिहास रच दिया. 2014 में दो सीटों से 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटों की जबर्दस्त उछाल के पीछे अमित शाह की एक 'तिकड़ी' की चर्चा है. इस तिकड़ी में शामिल हैं बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, बीजेपी के इलेक्शन इंचार्ज मुकुल रॉय और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष. पश्चिम बंगाल के रण में बीजेपी की सफलता की कहानी इन तीन नेताओं ने कैसे लिखी, जानिए इनके बारे में.

काम आया विजयवर्गीय का तेवर

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की आक्रामकता के जवाब में अमित शाह ने कैलाश विजयवर्गीय को मोर्चे पर लगाया. विजयवर्गीय की छवि एक आक्रामक नेता की मानी जाती है. बीजेपी का यह दांव सफल रहा. 2015 में पश्चिम बंगाल प्रभारी की कमान संभालने के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने सबसे पहले राज्य में हिंसा में मारे गए और घायल हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के घर जाना शुरू किया. इससे पार्टी के लिए जान न्यौछावर करने वाले कार्यकर्ताओं के परिवार को भी लगा कि पार्टी उनके साथ है. जिससे स्थानीय संगठन में नई ऊर्जा और जोशोखरोश का संचार हुआ.

विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं को सत्ताधारी टीएमसी के खौफ से बाहर निकाला. दौरे पर दौरा करते हुए विजयवर्गीय ने व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया. एक साल बाद ही मेहनत रंग लाई, जब 2016 के विधानसभा चुनावों में कैलाश विजयवर्गीय की सफलता तीन विधानसभा सीटों के अंकों में तब्दील हो चुकी थी. इससे उनका उत्साह बढ़ा और अब वे पार्टी के विस्तार पर फोकस करने लगे. टीएमसी के असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को बीजेपी में लाने की कोशिश में जुट गए. टीएमसी खेमे से मुकुल रॉय का बीजेपी में आना बड़ी उपलब्धि रही.

मुकुल रॉय

मुकुल रॉय को ममता बनर्जी का सबसे बड़ा राजदार और दायां हाथ कहा जाए तो गलत नहीं होगा. जो तृणमूल कांग्रेस आज पश्चिम बंगाल में सत्ता में है, उसके संस्थापक सदस्य रह चुके हैं. जिस वक्त मुकुल रॉय ने टीएमसी छोड़ी, उस वक्त तक उनकी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रही. कांग्रेस से अलग होने के बाद जनवरी 1998 में ममता बनर्जी के साथ पार्टी की स्थापना के वक्त मुकुल रॉय भी शामिल थे.

करीबियत इतनी थी कि जब 2011 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी की जीत पर ममता बनर्जी मनमोहन सरकार में रेल मंत्री का पद छोड़कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने जा रहीं थीं, तब उन्होंने मुकुल रॉय को ही रेल मंत्री बनवाया था. मगर कुछ मतभेदों के कारण कालांतर में दोनों नेताओं के रिश्तों में तल्खी आ गई. आखिरकार 25 सितंबर 2017 को मुकुल रॉय ने पार्टी छोड़ दी तो फिर उनका बीजेपी ने पार्टी में स्वागत किया.

अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय ने मुकुल रॉय को वो मास्टर प्लॉन तैयार करने का जिम्मा दिया, जिस पर चलकर बीजेपी टीएमसी का तिलिस्म तोड़ सके. लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो उन्हें इलेक्शन कमेटी का इंचार्ज बना दिया. पश्चिम बंगाल की हर सीट के समीकरणों से वाकिफ मुकुल रॉय ने मास्टर प्लॉन तैयार किया. टीएमसी के हजार से भी अधिक तेजतर्रार कार्यकर्ताओं की फौज को उन्होंने भगवा खेमे से जोड़ दिया.

बीजेपी के लिए न कार्यकर्ताओं की कमी पड़ने दी और न ही चुनावी जीत के लिए जरूरी अन्य संसाधनों की. इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मुकुल रॉय को इलेक्शन कमेटी का इंचार्ज बनाया था. उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ते हुए बीजेपी ने न केवल 18 सीटें जीतीं, बल्कि 294 में से 150 विधानसभा में सत्ताधारी टीएमसी को पीछे छोड़ दिया.

पूर्व प्रचारक पर लगाया सफल दांव

पश्चिम बंगाल में बीजेपी की जादुई सफलता में योगदान देने वाले तीसरे शख्स हैं दिलीप घोष. कभी आरएसएस के प्रचारक रहे दिलीप घोष आज पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष हैं. संघ के प्रमुख रहे केएस सुदर्शन के सहयोगी के तौर पर काम कर चुके दिलीप घोष कैलाश विजयर्गीय की खोज माने जाते हैं. उन्होंने ही अमित शाह को दिलीप को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देने के लिए राजी किया था. 2016 में दिलीप घोष तब और सुर्खियों में आए, जब उन्होंने विधानसभा चुनाव में खड़गपुर सीट से उन ज्ञान सिंह सोहनपाल को हरा दिया, जो कि इस सीट से 1982 से लगातार जीतते आए थे. पेशे से वकील 54 वर्षीय दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल में संगठन को मजबूत करने के लिए नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने पर फोकस किया.

Loan calculator for Instant Online Loan, Home Loan, Personal Loan, Credit Card Loan, Education loan

Loan Calculator

Amount
Interest Rate
Tenure (in months)

Loan EMI

123

Total Interest Payable

1234

Total Amount

12345