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बुधवार, 29 मई 2019

मुक्त कराए इलाकों में फिर से संगठित हो रहे नक्सली, केंद्र की नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती

मुक्त कराए इलाकों में फिर से संगठित हो रहे नक्सली, केंद्र की नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती

नक्सली (फाइल फोटो)
नक्सली (फाइल फोटो) : bharat rajneeti
नक्सलियों ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हमले के एक महीने के भीतर ही मंगलवार तड़के झारखंड के सरायकेला में दूसरा बड़ा हमला कर सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी चुनौती दी है। इस हमले में नक्सलियों ने एक के बाद एक चार आईईडी धमाके किए।
हर बार पहले से ज्यादा उग्र हमले कर रहे नक्सलियों के उन इलाकों में फिर से संगठित होने के संकेत हैं, जिन्हें सुरक्षा बलों ने मुक्त करा लिया था। पिछले कुछ महीने में हुए हमलों के तौर तरीके से साफ है कि नक्सलवाद नई सरकार के लिए आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से फिर बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है।

सरायकेला हमले में सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो और झारखंड पुलिस के विशेष दस्ते जगुआर के 11 जवान घायल हुए हैं। हमला काफी जबरदस्त था। चूंकि जवान राय सिंदरी पहाड़ पर चल रहे विशेष अभियान में पैदल थे, इसलिए हमले का असर जानलेवा नहीं हो पाया।

30 अप्रैल को गढ़चिरौली में नक्सलियों ने सुरक्षा बल के वाहन को आईईडी से निशाना बनाया था, जिसमें ड्राइवर समेत 16 जवान शहीद हुए थे। इस हमले से पहले नक्सलियों ने वहां विकास के काम में लगे तीस वाहनों में आग लगा दी थी। सुरक्षा बलों की लंबी कार्रवाई के बाद माना जाने लगा था कि महाराष्ट्र का गढ़चिरौली इलाका नक्सलियों से मुक्त हो चुका है।

सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन महीने पहले तक सिर्फ छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ ही ऐसा इलाका था जहां नक्सलियों की मौजूदगी थी। इसके अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, बिहार और झारखंड के जंगलों में नक्सलियों के रेड कॉरिडोर कहे जाने वाले इलाके लगभग मुक्त हो चुके थे।

इसी आधार पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बार यह बयान दिया था कि एक से दो साल में नक्सल समस्या का पूरी तरह खत्म हो जाएगी। लेकिन पिछले कुछ महीनों में नक्सलियों के हमलों ने मंत्रालय की चिंता बढ़ा दी है।

नक्सलियों पर दबाव, मजबूत स्थिति में सुरक्षा बल

नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सीआरपीएफ के महानिदेशक राजीव राय भटनागर ने अमर उजाला से कहा कि नक्सली आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती हैं। लेकिन जंगलों में नक्सलियों पर सुरक्षा बल मजबूत स्थिति में हैं। वह लगातार दबाव में हैं। हालांकि, हाल के हमलों से साफ है कि सुरक्षा एजेंसियां कोई ढील नहीं बरत सकती हैं। जिन इलाकों में हमले हुए हैं वहां नक्सलियों का प्रभाव है।

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