#Bharat_rajneeti:मध्य प्रदेश की सात सीटों पर आज वोटिंग, भाजपा के सामने अपनी सीटें बचाने की चुनौती

यहां भाजपा से प्रहलाद पटेल, कांग्रेस से प्रताप सिंह लोधी और बसपा से जित्तू खरे (बादल) सहित 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस इस सीट पर पिछले तीन दशक से जीत का स्वाद नहीं चख पाई है। कांग्रेस ने इस सीट पर कभी जातीय तो कभी स्थानीय मुद्दों को उछालकर प्रत्याशी उतारे लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाई। 2014 में प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह को 2 लाख से ज्यादा मतों से मात दी थी।
टीकमगढ़
भाजपा हैट्रिक की ओर, खाता खोलने की फिक्र में कांग्रेस
यह सीट बुंदेलखंड में आती है। कांग्रेस से अहिरवार किरण, भाजपा से डॉ. वीरेंद्र कुमार और सपा के आरडी प्रजापति सहित 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 2014 में बीजेपी से वीरेंद्र कुमार ने कांग्रेस के कमलेश वर्मा को 2,14,248 मतों से हराया था। वीरेंद्र हैट्रिक लगाने के मूड में हैं लेकिन बदले समीकरण के चलते यह आसान नहीं है। कांग्रेस इस बार नए चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में है।
खजुराहो : भाजपा का गढ़, कांग्रेस रियासत के भरोसे, ददुआ का बेटा भी उतरा
मंदिरों के शहर खजुराहो की इस सीट पर लगभग 15 साल से बीजेपी का कब्जा है। भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर वीडी शर्मा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने छतरपुर के पूर्व राज परिवार से ताल्लुक रखने वाली कविता सिंह पर दांव लगाया है। सपा ने दस्यु ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस के राजा पटेरिया को हराया था। यहां सबसे अधिक पिछड़े वर्ग के मतदाता हैं। इसके बाद तीन लाख ब्राह्मण वोटर हैं। इसी जातीय समीकरण को देखते हुए सपा ने कुर्मी समुदाय से वीर सिंह पटेल पर दांव लगाया है, जो यूपी के चित्रकूट सदर से विधायक रह चुके हैं। भाजपा ने यहां ब्राह्मण कार्ड खेला है।
होशंगाबाद : भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर
भाजपा से मौजूदा सांसद उदय प्रताप सिंह, कांग्रेस से शैलेंद्र दीवान चंद्रभान सिंह और बसपा से एमपी चौधरी सहित 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। होशंगाबाद लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ है। 1989 से लेकर 2004 तक भाजपा यहां 6 बार लगातार जीती। 2009 में कांग्रेस ने इस सीट को भाजपा से छीना था। 2014 में उदय सिंह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए और सांसद चुने गए।
बैतूल : कमलनाथ का असर, भाजपा की चुनौती
यह सीट सीएम कमलनाथ के मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा से सटी हुई है। भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर दुर्गा दास उइके, कांग्रेस ने राम टेकाम और बसपा ने अशोक भलावी को उतारा है। 2014 में भाजपा की ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के अजय शाह को सवा तीन लाख मतों से मात दी थी। बदले सियासी समीकरण के चलते भाजपा ने प्रत्याशी बदला है।
सतना : सूखा दूर करने की कोशिश में कांग्रेस
भाजपा के गणेश सिंह लगातार तीन जीत के बाद चौथी बार मैदान में हैं। कांग्रेस ने राजाराम त्रिपाठी और बसपा ने अच्छे लाल कुशवाहा को उतारा है। कांग्रेस से अर्जुन सिंह आखिरी नेता थे, जिन्होंने 1991 में जीत हासिल की थी। सतना सीट पर अर्जुन सिंह के परिवार की आज भी तूती बोलती है।
रीवा : 15 साल से नहीं जीत पाई कांग्रेस
उत्तर प्रदेश की सीमा लगी हुई रीवा लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद जनार्दन मिश्रा, कांग्रेस ने सिद्धार्थ तिवारी और बसपा ने कुर्मी समुदाय के विकास पटेल को उतारा है। 2014 के चुनाव में बीजेपी के जनार्दन मिश्रा ने कांग्रेस के सुंदर लाल तिवारी को एक लाख साठ हजार मतों से मात दी थी। पिछले 15 साल से कांग्रेस यह सीट नहीं जीत सकी है, जबकि बसपा इस सीट पर 1991, 1996 और 2009 में जीती।