पहली बार अंतिम संस्कार कराने वाले पुरोहितों को मिलेगा वेतन, ममता सरकार का बड़ा कदम
हालांकि केएमसी का कहना है कि वेतन लोकसभा चुनाव से पहले देने का निर्णय लिया गया था। मेयर फिरहाद खान ने कहा, 'हम इसे अब लागू कर रहे हैं। इन पुरोहितों की आय का कोई नियमित साधन नहीं है और वह पूरी तरह से शोक संतप्त परिवार द्वारा मिलने वाली राशि पर निर्भर करते हैं। उनकी मदद करने के लिए हमने प्रति शव के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें 380 रुपये देने का फैसला लिया है।'
डिप्टी मेयर अतिन घोष ने कहा, 'अभी तक हमने 49 पुरोहितों की पहचान कर ली है जो वेतन के योग्य हैं। ममता बनर्जी की सरकार के अंतर्गत सभी वर्गों का ध्यान रखा जाता है।' पुरोहितों ने इस कदम का स्वागत किया है लेकिन राज्य के भाजपा नेताओं ने इसकी आलोचना की है। उनका कहना है कि राशि बहुत कम है और यह कदम काफी देरी से उठाया गया।
पुरोहितो के विद्यालय सर्व भारतीय प्राचार्य विद्या एकेडमी के प्रधानाचार्य पंडित जयंत कुशारी ने कहा, 'मुझे खुशी है कि केएमसी ने यह पहल की। लेकिन मुझे ज्यादा खुशी तब होगी जब ज्यादा गरीब पुरोहित जो गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं उन्हें सरकार से मदद मिले।'
हावड़ा के 500 पुरोहितों की संस्था बगुआ भूदेब चातुस्पति के सचिव शुभांकर चक्रबर्ती ने कहा, गरीब पुरोहितों की वित्तीय मदद हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग थी। हम केएमसी के शुक्रगुजार हैं कि इस तबके को कुछ मिल रहा है। हमारी सरकार से अपील है कि वह अन्य पुरोहितों को भी इसके अतंर्गत लाएं।
2012 में मुख्यमंत्री बनर्जी ने घोषणा की थी कि इमाम और मुअज्जिन को 2,500 और 30,000 रुपये का वेतन दिया जाएगा। उनकी सरकार ने इमाम को घर बनाने के लिए जमीन देने की घोषणा की थी। इस फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया था क्योंकि हिंदू पंडित भी इसी तरह के लाभ की मांग कर रहे थे और भाजपा ने इसको लेकर सरकार की आलोचना की थी।