सूखे से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराएगी महाराष्ट्र सरकार

इस पर तब साढ़े पांच करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसके लिए अमेरिकी कंपनी की मदद ली गई थी और यह प्रयोग सफल भी हुआ था। उसके बाद 2015 में नासिक में कृतिम बारिश कराई गई थी जो, तकनीकी खामियों के चलते असफल रही। उसके बाद 2017 में भी कृत्रिम बारिश कराई गयी थी।
26 जलाशयों में जल भंडारण शून्य
महाराष्ट्र के 26 जलाशयों में जल भंडारण शून्य हो गया है। इस संबंध ने राज्य सरकार ने पिछले दिनों एक आंकड़ा जारी किया था जिसमें कहा गया था कि 18 मई तक राज्य के 26 जलाशयों में जल भंडारण लगभग खत्म हो चुका है। इससे पहले सरकार ने पिछले अक्तूबर महीने में ही सूबे की 151 तालुका और 260 मंडलों में सूखे की घोषणा की थी।
कृत्रिम बारिश का इतिहास
पहली बार 1940 में अमेरिका में इस तकनीक का शुरू किया गया था और वर्तमान में करीब 60 देशों में इससे बारिश कराने के प्रयोग हो रहे हैं। अमेरिकी कंपनी वेदर मॉडिफिकेशन एनकॉर्पोरेशन कई देशों में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट चला रही है। कृत्रिम बारिश की एक नई तकनीक का प्रयोग 1990 में दक्षिण अफ्रीका में किया गया था। वहां पर हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग ईजाद किया गया जिसमें बादलों में सोडियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे रसायनों का छिड़काव करके बारिश कराई जाती है।