783 रैलियों से बनाया माहौल, मोदी-शाह-योगी समेत छह चेहरों ने की छह लाख किमी की यात्रा
अमित शाह, नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो): Bharat Rajneeti
एग्जिट पोल्स के अनुमान अगर सही निकले तो भाजपा की इस सफलता के पीछे छह चेहरों की भूमिका की सबसे अधिक चर्चा होगी। करीब 50 दिन के चुनावी अभियान में पार्टी के छह चेहरों पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान ने दिन रात एक कर दिया। इन नेताओं ने पार्टी की करीब 1500 रैलियों में से लगभग 53 फीसदी रैलियां खुद संबोधित कीं। इसके लिए करीब छह लाख किलोमीटर की यात्रा के जरिए पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया। नरेंद्र मोदीः 1.05 लाख किमी यात्रा, 142 रैलियां
भाजपा का प्रचार अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द ही घूमा। पार्टी ने उन्हीं के नाम पर पूरा कैंपेन किया तो विपक्ष के निशाने पर भी मोदी ही रहे। मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान 1.05 लाख किलोमीटर की यात्रा के जरिए देश को खंगाला। इस अभियान के दौरान पीएम ने यूपी, प. बंगाल, ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात पर विशेष ध्यान दिया। पीएम की 142 में से 104 रैलियां इन्हीं नौ राज्यों में हुईं। बीते चुनाव में इनमें से सात राज्यों की ज्यादातर सीटों पर भाजपा का कब्जा था। जबकि इस बार पार्टी कुल 63 सीटों वाले प. बंगाल और ओडिशा में अपने विस्तार की व्यापक संभावना देख रही है।
अमित शाहः 1.58 लाख किमी यात्रा, 161 सभाएं
पार्टी अध्यक्ष के नाते पूरा चुनाव प्रबंधन देख रहे अमित शाह ने न सिर्फ पीएम से ज्यादा रैलियां कीं, बल्कि यात्रा भी ज्यादा की। शाह ने देशभर में 161 जनसभाओं को संबोधित किया और इसके लिए 1.58 लाख किलोमीटर की यात्रा की। इस दौरान वह जनसभाओं के माध्यम से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के साथ-साथ चुनाव प्रचार की रणनीति में कई अहम बदलाव भी करते रहे। बूथ प्रबंधन की निगरानी, नारे, हर चरण में अलग रणनीति और मुद्दा ढूंढने की भी जिम्मेदारी शाह ने ही उठाई। शाह ने भी पीएम मोदी की तरह जनसभाओं के माध्यम से पूरे देश की यात्रा की। उनका भी फोकस यूपी, प. बंगाल, ओडिशा और हिंदी पट्टी के राज्य रहे।
राजनाथ सिंहः एक लाख किमी यात्रा, 129 रैलियां
लोकसभा चुनाव में गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी भाजपा के स्टार प्रचारकों में रहे। उन्होंने देशभर में 129 रैलियों को संबोधित किया। यूपी के अलावा उन्होंने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर और प. बंगाल में भी मोर्चा संभाला। उन्होंने करीब एक लाख किमी. की यात्रा की। जनसभाओं में उनका चौकीदार प्योर है, मोदी का जीतना श्योर है नारा लोकप्रिय हुआ। इसके अलावा राजनाथ ने जम्मू-कश्मीर को लेकर भी विपक्ष पर खूब निशाना साधा। राजनाथ अनुच्छेद 370 और सेना को विशेष अधिकार जैसे मुद्दों को लेकर भी कांग्रेस पर हमलावर रहे।
योगी आदित्यनाथः एक लाख किमी यात्रा, 135 सभाएं
भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों में योगी आदित्यनाथ ने सबसे अहम जिम्मेदारी संभाली। सीएम बनने के बाद भाजपा ने योगी को विधानसभा चुनावों के दौरान लगभग हर राज्य में स्टार प्रचारक बनाया। विधानसभा चुनाव में मिली सफलता से उनकी उपयोगिता बढ़ गई। गुजरात, कर्नाटक, त्रिपुरा में उनकी प्रभावी भूमिका के कारण बेहतर नतीजे आने के बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव से पूर्व ही प. बंगाल के मोर्चे पर उतारा। इस लोकसभा चुनाव में योगी ने यूपी के अलावा प. बंगाल और ओडिशा में पूरी ताकत लगाई। पूर्वोत्तर के राज्यों और कर्नाटक में भी योगी ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने एक लाख किमी से अधिक यात्रा की और 135 जनसभाओं को संबोधित किया।
इस चुनाव में पूर्व भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ज्यादा यात्रा तो नहीं की, मगर महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा के बीच तालमेल बिठाने में अहम योगदान दिया। दरअसल भाजपा-शिवसेना गठबंधन में दो साल से जमकर खटास थी। एक लोकसभा उपचुनाव दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ चुकी थीं। शिवसेना ने लोकसभा चुनाव भी अलग लड़ने की घोषणा की थी। इन सबके बीच, गडकरी ने सियासत के दो सबसे पुराने दोस्तों को एक साथ लाने में बड़ी भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र में पार्टी के प्रचार की कमान संभाली। गडकरी ने महाराष्ट्र में 56 रैलियां संबोधित कीं। खराब सेहत के बावजूद वह दूसरे राज्यों में भी गए।
शिवराज सिंहः सभा करने में दूसरे नंबर पर
इस चुनाव में पार्टी ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज चौहान का जमकर उपयोग किया। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि वह जनसभाओं को संबोधित करने के मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बाद दूसरे नंबर (160 जनसभाएं) पर रहे। चौहान का मुख्य फोकस गृह राज्य मध्य प्रदेश रहा। इसके अलावा उन्होंने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी कुछ सभाएं कीं।