जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाले राज्य सभा सदस्यों का नाम नहीं बताया जा सकता
![जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाले राज्य सभा सदस्यों का नाम नहीं बताया जा सकता प्रतीकात्मक तस्वीर](https://spiderimg.amarujala.com/assets/images/2018/09/30/750x506/court_1538312309.jpeg)
राव ने राज्य सभा सचिवालय के फैसले के खिलाफ केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दाखिल की थी। मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने इस अपील पर फैसला देते हुए कहा कि संसद या एक राज्य विधायिका या उनके सदस्यों को प्रभावी ढंग से किसी भी बाधा या हस्तक्षेप के बिना अपने कार्यों को करने में सक्षम करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 105 और 194 के तहत कुछ विशेषाधिकार दिए गए हैं। भार्गव ने फैसले में मशहूर ब्रिटिश संविधान विशेषज्ञ थॉमस इर्स्िकन मे के एक कथन का भी हवाला दिया और अपील को खारिज कर दिया।
प्रभावित हो सकते हैं संसदीय कर्तव्य
मुख्य सूचना आयुक्त ने फैसले में कहा कि महाभियोग प्रस्ताव देने वाले और जिन सदस्यों ने बाद में नाम वापस ले लिए, उनके विवरण के खुलासे से न केवल अप्रत्यक्ष रूप से सदस्यों को उनके संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन में प्रभावित किया जा सकता है, बल्कि भविष्य के प्रदर्शन में उनकी स्वतंत्रता भी प्रभावित हो सकती है।