जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाले राज्य सभा सदस्यों का नाम नहीं बताया जा सकता - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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सोमवार, 20 मई 2019

जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाले राज्य सभा सदस्यों का नाम नहीं बताया जा सकता

जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाले राज्य सभा सदस्यों का नाम नहीं बताया जा सकता 

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर : Bharat rajneeti
एक हाईकोर्ट जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाले और इसका समर्थन नहीं करने वाले राज्य सभा सदस्यों के नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन हो सकता है।  केंद्रीय सूचना आयोग ने यह फैसला एक आरटीआई अपील के जवाब में दिया, जिसमें राज्य सभा सचिवालय से उन सांसदों की संख्या पूछी गई थी, जिन्होंने हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीवी नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। साथ ही उन सांसदों की भी जानकारी मांगी गई थी, जो इस प्रस्ताव से हट गए थे। जस्टिस रेड्डी पिछले साल हैदराबाद हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त हुए थे। एस. मल्लेश्वर राव की इस आरटीआई को राज्य सभा सचिवालय ने आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(सी) के तहत खारिज कर दिया था। इस धारा के तहत संसद या राज्य विधायिका के विशेषाधिकार का उल्लंघन करने वाली किसी भी ऐसी जानकारी को देने पर रोक लगाई गई है।
 
राव ने राज्य सभा सचिवालय के फैसले के खिलाफ केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दाखिल की थी। मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने इस अपील पर फैसला देते हुए कहा कि संसद या एक राज्य विधायिका या उनके सदस्यों को प्रभावी ढंग से किसी भी बाधा या हस्तक्षेप के बिना अपने कार्यों को करने में सक्षम करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 105 और 194 के तहत कुछ विशेषाधिकार दिए गए हैं। भार्गव ने फैसले में मशहूर ब्रिटिश संविधान विशेषज्ञ थॉमस इर्स्िकन मे के एक कथन का भी हवाला दिया और अपील को खारिज कर दिया।

प्रभावित हो सकते हैं संसदीय कर्तव्य
मुख्य सूचना आयुक्त ने फैसले में कहा कि महाभियोग प्रस्ताव देने वाले और जिन सदस्यों ने बाद में नाम वापस ले लिए, उनके विवरण के खुलासे से न केवल अप्रत्यक्ष रूप से सदस्यों को उनके संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन में प्रभावित किया जा सकता है, बल्कि भविष्य के प्रदर्शन में उनकी स्वतंत्रता भी प्रभावित हो सकती है।

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