कल पूछताछ के लिए बुलाया, जमीन अधिग्रहण मामले में ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा को फिर भेजा समन
जुमेराह विला और लंदन के फ्लैट को खरीदने के लिए हुई कथित बेनामी लेन-देन के विवरण उनसे फरवरी में साझा किए गए थे। तब ईडी ने लगातार तीन दिनों तक उनसे पूछताछ की थी। जब उनसे पूछा गया था कि वह स्काईलाइट इनवेस्टमेंट एफजेडई कंपनी में जमा इतनी बड़ी रकम के स्रोत के बारे में बताए तो उन्होंने इसका जवाब देने से मना कर दिया था। यह कंपनी वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड जैसी है जो भारत से संचालित होती है।
वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी मनी लांड्रिंग अधिनियम के तहत विभिन्न मामलों में एजेंसी की जांच के रडार पर है। जिसमें गुरुग्राम और बीकानेर में अधिग्रहित जमीन भी शामिल है। एजेंसी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है ताकि वाड्रा की अग्रिम जमानत खारिज हो सके और उसे मिली गिरफ्तारी से छूट खत्म हो सके।
कई बार पूछताछ के दौरान वाड्रा ने टाल-मटोल वाले जवाब दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि जांच के लिए वाड्रा की कस्टडी बहुत महत्वपूर्ण है। जिसके बाद ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी और ट्रायल शुरू होगा। हाल ही में जब वाड्रा ने लंदन जाने के लिए इजाजत मांगी थी तो एजेंसी ने इसका विरोध किया था।
वाड्रा ने मनी लांड्रिंग के सभी आरोपों से इनकार किया है जबकि एजेंसी ने उससे पैसों के लेन-देन और दुबई में जमा नकदी को लेकर सवाल पूछे हैं। ईडी ने इन लेन-देन को वाड्रा के करीबियों से जोड़ा है जो कथित तौर पर वाड्रा के लिए फर्जी कंपनियों का संचालन करते हैं। उन्हीं के जरिए दुबई और लंदन में संपत्ति खरीदी गई है। वाड्रा से फरार रक्षा दलाल संजय भंडारी के साथ उनके कथित संपर्कों को लेकर भी पूछताछ की गई है। भंडारी ने वाड्रा की एक फर्जी कंपनी को लंदन की संपत्ति (फ्लैट) हस्तांतरित किया था।