तीसरे दिन भी गहलोत-पायलट से नहीं मिले राहुल गांधी, कांग्रेस में अंतर्कलह और बढ़ी

पहले ऐसी खबर आई थी कि राहुल शाम के साढ़े चार बजे गहलोत और पायलट से मिलेंगे मगर वह इन दोनों नेताओं सहित किसी भी बड़े नेता से नहीं मिले। इसके बाद दोनों नेताओं ने प्रियंका गांधी से मुलाकात की। शाम को गहलोत जयपुर के लिए रवाना हो गए वहीं पायलट बुधवार को निकलेंगे।
राजस्थान में आज समीक्षा बैठक
जयपुर में आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव सुशील आसोपा ने फेसबुक पर लिखा है कि राज्य में कांग्रेस की हार की एक वजह पायलट का मुख्यमंत्री न बनना है। यदि वह मुख्यमंत्री होते तो लोकसभा के नतीजे कुछ और होते। वहीं हनुमानगढ़ कांग्रेस जिलाध्यक्ष केसी बिश्नोई के कहना है कि गहलोत को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
गहलोत ने कहा- राहुल गांधी को कमियां गिनाने का हक
मंगलवार को गहलोत ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को कमियां गिनाने का हक है। वह मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष या पार्टी के किसी भी पदाधिकारी की कमियों को बता सकते हैं। कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है। जिसमें किसी की भी कमियां गिनाने का हक है। हम इन कमियों से सीख लेते हैं। कांग्रेस में हार को लेकर राज्य सरकार और संगठन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। माना जा रहा है कि समीक्षा बैठक में गहलोत और पायलट गुट में हंगामा हो सकता है। वहीं हार को लेकर राहुल काफी नाराज हैं।
कथित इस्तीफा के बाद गायब हैं कृषि मंत्री कटारिया
वहीं कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया कहां गायब हो गए? इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। कटारिया के कृषि भवन स्थित कार्यालय और सचिवालय के गलियारों में हर कोई यही पूछ रहा कि मंत्री गए कहां? कटारिया का निजी स्टाफ और विभाग के अफसरों को भी कटारिया के बारे में कुछ भी पता नहीं है। एक दूसरे से वे भी कटारिया के बारे में पूछ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि न तो प्रदेश कांग्रेस कार्यालय को कुछ पता है और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कोई अधिकारिक जानकारी आ पाई है। 72 घंटे बाद भी कटारिया का फोन बंद है।
हार से कांग्रेस में हाहाकार
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में लोकसभा चुनाव में राजस्थान और मध्य प्रदेश में पार्टी के सफाये को लेकर विशेष रूप से नाराजगी जताई थी। । सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम सहित कुछ बड़े क्षेत्रीय नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा था कि इन नेताओं ने बेटों-रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए जिद की और उन्हीं को चुनाव जिताने में लगे रहे और दूसरे स्थानों पर ध्यान नहीं दिया। इसी बैठक में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि सीडब्ल्यूसी ने प्रस्ताव पारित कर इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया और पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया।