सबकी राय जुदा,यूपी में गठबंधन का कितना चला जादू:पोल ऑफ पोल्स
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पोल ऑफ पोल्स: bharat rajneeti |
जिस समय उत्तरी भारत के अन्य राज्यों में भाजपा की सफलता दर काफी अच्छी रही है, उस समय प्रदेश व केंद्र में भाजपा की सरकारों के बावजूद यूपी में भाजपा के प्रदर्शन को कमतर आंका जा रहा है। गठबंधन से मुकाबले के लिए भाजपा की रणनीति कसौटी पर खरी उतरती नहीं दिख रही है। गठबंधन ने पश्चिमी यूपी, बुंदेलखंड और अवध से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। गैर यादव और गैर जाटव मतों की अपने पक्ष मे लामबंदी के भाजपा के दावे भी पुख्ता साबित नहीं हो रहे हैं।
अमेठी-रायबरेली तक सिमटी कांग्रेस
एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो कांग्रेस सिर्फ अमेठी और रायबरेली सीट तक सीमित रह जाएगी। गांधी, नेहरू परिवार का गढ़ कही जाने वाली ये दोनों सीट उसे वर्ष 2014 में भी मिली थीं। राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने, प्रियंका गांधी वाड्रा को सक्रिय राजनीति में लाने, राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वांचल का प्रभारी बनाने जाने का कांग्रेस को कोई लाभ नहीं मिला है।
गठबंधन का इम्तिहान
दो दशक बाद सपा और बसपा के साथ आने का कितना असर हुआ है, यह तो चुनावी नतीजों से ही पता लगेगा लेकिन यदि एग्जिट पोल सही हैं तो गठबंधन ने काफी हद तक प्रदेश में भाजपा की रफ्तार को रोका है। यदि गठबंधन 20-30 के आसपास सीट जीतता है तो उसका प्रदर्शन कमतर आंका आका जाएगा। लेकिन, उसकी सीट 45 से ज्यादा आई तो चुनावी इम्तिहान में उसे पास माना जाना जाएगा। अलग-अलग एग्जिट पोल में गठबंधन को 20 से 56 सीट दी गई हैं।
भाजपा-गठबंधन पर मतभेद, कांग्रेस पर एक राय
यदि सभी प्रमुख एग्जिट पोल का औसत निकाला जाए तो प्रदेश में भाजपा को 48, गठबंधन को 30 और कांग्रेस को दो सीट मिल सकती हैं। टाइम्स नाऊ-वीएमआर ने जहां भाजपा को 58 सीट दी हैं वहीं, एबीपी-नील्सन ने गठबंधन को 45 सीटें दी हैं। एग्जिट पोल में भाजपा-गठबंधन की सीटों को लेकर अलग-अलग राय है लेकिन सभी ने कांग्रेस को दो ही सीट दी हैं।