साथ रहना दुश्वार नहीं, लेकिन पति से बच्चा चाहती है महिला, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

हालांकि महिला ने अपने पति से स्पर्म डोनेट (दान) करने का आग्रह किया है। अपने आदेश में नांदेड़ पारिवारिक अदालत की न्यायाधीश स्वाति चौहान ने कहा, 'तकनीक की मदद से बच्चा पैदा करना किसी भी कानून, लिखित या अलिखित सामाजिक मानकों का उल्लंघन नहीं है। अदालत ने जोड़े को सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ (एटीआर) के पास जाने का निर्देश दिया है।
इसपर पति ने आपत्ति जताई है। जिसपर अदालत ने कहा कि बिना किसी वाजिब कारण के वह मना नहीं कर सकता। ऐसा करने पर उसे कानूनी और तार्किक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। पति और पत्नी दोनों काम करते हैं और उनका पहले से ही एक नाबालिग बच्चा है। मुंबई में रहने वाले पति ने अपनी पत्नी की कथित क्रूरता के कारण साल 2017 में तलाक की अर्जी दाखिल की थी।
महिला ने 2018 में नांदेड़ पारिवारिक अदालत में पति से दूसरा बच्चा पैदा करने के लिए दरवाजा खटखटाया है। दोनों की याचिकाएं लंबित हैं। महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि वह 35 साल की है और उसके प्रजनन वर्ष बहुत सीमित हैं। ऐसे में वह अपने पहले बच्चे के लिए भाई-बहन और अपने बुढ़ापे का सहारा चाहती है। महिला ने साथ रह रहे बच्चे के लिए पति से गुजारा भत्ता मांगा था लेकिन अदालत ने इससे मना कर दिया क्योंकि महिला खुद कमाती है।