भारी भरकम जुर्माना चुकाकर भी सजा से नहीं बच पाएंगे ‘बड़े’ कर चोर - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 18 जून 2019

भारी भरकम जुर्माना चुकाकर भी सजा से नहीं बच पाएंगे ‘बड़े’ कर चोर

भारी भरकम जुर्माना चुकाकर भी सजा से नहीं बच पाएंगे ‘बड़े’ कर चोर

डेमो
डेमो - फोटो : bharat rajneeti
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा आयकर भरने में चूक या गड़बड़ी के मामलों में जुर्माना या शुल्क चुकाकर उसे नियमित करने या कंपाउंडिग की प्रक्रिया से संबंधित जारी नए दिशा-निर्देश सोमवार से लागू हो गए। इससे अब मनी लॉन्ड्रिंग, आतंक के वित्त पोषण, भ्रष्टाचार, बेनामी संपत्ति और विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने जैसे गंभीर मामलों में आयकर चोरी को लेकर राहत पाने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं। नए नियमों में भारी-भरकम जुर्माना चुकाकर भी ‘बड़े’ कर चोर सजा से नहीं बच पाएंगे। इसमें कर चोरी के गंभीर अपराधों पर सजा से छूट का प्रावधान खत्म कर दिया गया है।
सीबीडीटी ने प्रत्यक्ष कर कानून के तहत मामलों के निपटान-2019 को लेकर 32 पेज का संशोधित दिशा-निर्देश लागू किया है। इनका क्रियान्वयन आयकर अधिनियम-1961 के तहत होगा। इसमें स्पष्ट किया गया है कि कर चोरी के मामले में कोर्ट के बाहर समझौता नहीं होगा। पूरा मामला चलेगा और सजा भुगतनी होगी।

कालेधन और बेनामी कानून के तहत ज्यादातर अपराध सामान्यतया नॉन कंपाउडेबल होंगे यानी सिर्फ जुर्माना देकर कोई दोषी बच नहीं पाएगा। कोई भी संस्था या व्यक्ति कर चोरी के मामले में सिर्फ कर की मांग, जुर्माना और ब्याज का भुगतान कर समाधान नहीं कर पाएगी। सीबीडीटी ने 13 तरह के मामलों की सूची जारी की है, जो कोर्ट के बाहर हल नहीं हो सकेंगे। अपराधों को उनकी गंभीरता के हिसाब से दो श्रेणियों में बांटा गया है।

इन मामलों में नरमी मिल सकती है

श्रेणी ए के तहत स्रोत पर कर न चुकाने या कम कटौती के मामले और धारा 115-0 के तहत कम कर से जुड़े मामले आएंगे। इन मामलों को अदालत के बाहर समझौता करने की मंजूरी दी जी सकती है। हालांकि ऐसे मामलों में किसी को तीन बार दोषी पाया जाता है तो बचाव का मौका नहीं मिलेगा।

जानबूझकर कर चोरी पर होगी जेल

श्रेणी बी के तहत जानबूझकर कर चोरीे, खातों व अन्य वित्तीय दस्तावेज को पेश न करने और जांच के दौरान गलतबयानी जैसे मामले आएंगे। जानबूझकर कर न देने, संपत्ति छिपाने या कर बचाने के लिए किसी और के नाम करने या छापेमारी के दौरान सुबूतों को छिपाने के मामले अदालत के बाहर नहीं सुलझाए जा सकेंगे। इन पर मुकदमा चलेगा और सजा होगी।

सरकार दे सकती है छूट्र

जिन मामलों में आयकर विभाग के अलावा प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई, लोकपाल, लोकायुक्त या अन्य केंद्रीय एजेंसियां भी जांच कर रही हैं, उन्हें भी कोर्ट के बाहर नहीं सुलझाया जा सकता। इनका पूरी जांच के बाद ही फैसला होगा। हालांकि वित्त मंत्रालय किसी तरह के मामलों में भी संज्ञान लेकर और आरोपी की अदालत के बाहर समझौते की याचिका पर सीबीडीटी की रिपोर्ट पर विचार कर नियमों में छूट दे सकता है।

बढ़ेंगे अभियोजन के मामले

सीबीडीटी की पूर्व के दिशानिर्देशों के तहत अप्रैल से नवंबर 2017 के आठ महीनों में हजारों मामलों में जुर्माना लेकर कर चोरों को सजा से राहत दी गई थी लेकिन संशोधित दिशानिर्देश के अमल आ जाने से अगले कुछ महीनों में अभियोजन के मामलों में बहुत अधिक वृद्धि हो सकती है।
 

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