कांग्रेस समीक्षा बैठक: संगठन और प्रत्याशियों ने एक-दूसरे पर फोड़ा हार का ठीकरा, अब यूपी चुनाव पर नजर

पार्टी महासचिव व पश्चिमी यूपी प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सभी को मतभेद भुलाकर विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में जुटने के लिए प्रेरित किया। सिंधिया शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर 25 सीटों की समीक्षा कर रहे थे।
प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की मौजूदगी में हुई समीक्षा में मुरादाबाद, संभल, बिजनौर, नगीना, रामपुर, बरेली, आंवला, बदायूं, सीतापुर, बहराइच, धौरहरा,आगरा, फतेहपुर सीकरी और इटावा समेत अन्य सीटों के प्रत्याशी संबंधित शहर के पार्टी पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
इन बड़े नेताओं ने बैठक से किया किनारा
धौरहरा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे जितिन प्रसाद विदेश में होने के कारण नहीं आ सके, जबकि कानपुर से प्रत्याशी रहे श्रीप्रकाश जायसवाल पहले ही दिल्ली में कांग्रेस महासचिव से मिलकर अपनी बात रख चुके थे। इटावा के स्थानीय कांग्रेसियों ने ऐन वक्त पर प्रत्याशी देने पर विरोध दर्ज कराया।
कहा, स्थानीय कार्यकर्ताओं को भरोसे में लिए बिना दूसरी पार्टी के नेता को प्रत्याशी बनाकर बेहतर परिणाम नहीं लिए जा सकते हैं। मिश्रिख से प्रत्याशी रहीं मंजरी राही और उनके ससुर व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलाल राही ने हार के कारणों को विस्तार से रखा। कमोबेश सभी सीटों पर संगठन के कमजोर होने की बात स्वीकारी गई।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सिंधिया ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का उदाहरण रखते हुए कहा कि वहां भाजपा को अजेय माना जाता था, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सफलता हासिल करके दिखाई। कहा, ऐसी स्थिति मेहनत करने और जनता से जुड़े मुद्दों पर संघर्ष करके यहां भी लाई जा सकती है।
ईवीएम की गड़बड़ी से हारे : सावित्री बाई फुले
बहराइच की प्रत्याशी रहीं सावित्री बाई फुले ने हार के लिए ईवीएम की गड़बड़ी और संगठन का अपेक्षित सहयोग न मिलने को ठहराया। उन्होंने कहा कि संगठन में ऐसे लोगों को ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए, जो गांव-गांव जाकर काम करने का माद्दा रखते हों। उन्होंने सहयोग न करने वालों के नाम भी बताए।
वहीं, संगठन के पदाधिकारियों का कहना था कि प्रत्याशी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुई थीं। पहले एक अन्य नेता चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। ऐन वक्त पर फैसला बदलने से बेहतर समन्वय स्थापित नहीं हो सका।
कमोबेश यही स्थिति मुरादाबाद सीट पर सामने आई। सीतापुर जिलाध्यक्ष ने भितरघात को जिम्मेदार ठहराया गया, हालांकि यहां की प्रत्याशी कैसरजहां बैठक में नहीं आई थीं।