दरवेश हत्याकांडः चश्मदीदों ने बताई हत्या की आंखों देखी, जानिए आखिर चेंबर में क्या हुआ
दरवेश यादव (फाइल फोटो) - फोटो : bharat rajneeti
यूपी बार काउंसिल की प्रथम महिला अध्यक्ष दरवेश सिंह यादव की हत्या के मामले में पुलिस ने दो चश्मदीदों के बयान दर्ज किए हैं। इनसे घटनाक्रम की तस्वीर कुछ और साफ हो गई है। एडवोकेट मनीष शर्मा को गुस्सा दरवेश के साथ इंस्पेक्टर सतीश यादव को देखकर आया था।
मनीष उसे पसंद नहीं करता। मनीष के आने से पहले ही चेंबर में सतीश मौजूद था। मनीष के आते ही वह बाहर चला गया। मनीष ने दरवेश से गुस्से के लहजे में सवाल किया था, यह यहां क्यों आया?इस पर दरवेश का मौसेरा भाई मनोज यादव नाराज हुआ? उसने कहा, ऐसे कैसे बात कर रहे हो, तुम्हारा लहजा ठीक नहीं है। इसके अगले ही पल मनीष ने पिस्टल मनोज पर तान दी। इसके बाद एक मिनट से कम समय में पांच गोलियां चलाईं।
यूपी बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव की हत्या के चश्मदीद डॉ. अरविंद मिश्रा इस घटना से बेहद दुखी है। वह उन लोगों में से है जिन्होंने पूरी कोशिश की कि दरवेश और मनीष के रिश्ते में आई खटास दूर हो जाए। घटना उनके ही चेंबर में हुई। वह बताते हैं कि दोनों के बीच अनबन काफी समय से थी।
अरविंद मिश्रा कहते हैं कि दरवेश और मनीष जब साथ प्रैक्टिस करते थे तो उनके बीच घनिष्ठ संबंध थे। इतनी निकटता थी कि अगर दोनों में से कोई एक दिखाए दे, तो लोग उससे सवाल करते थे कि दूसरा कहां है? जब उनके बीच दूरियां बनने लगीं तो लोगों को यह खटका? अधिवक्ताओं ने दरवेश से पूछा तो पहले वह टालमटोल करती रहीं। कभी कह देतीं कि मनीष किसी काम से बाहर गए हैं, कभी कह देतीं कि वह रजिस्ट्री कराने गए हैं लेकिन लोग समझ रहे थे कि दोनों के बीच अनबन है।
धीरे-धीरे यह बात सामने आई कि दरवेश यादव के यूपी बार काउंसिल की राजनीति में जाने से मनीष खफा है। वह चाहता था कि दरवेश वकालत करें, राजनीति में न जाएं। यह अलग बात है कि दरवेश को पहले उपाध्यक्ष और फिर अध्यक्ष बनाने में मनीष का भी सहयोग रहा, लेकिन वह मन से नहीं चाहता था कि दरवेश इतनी आगे बढ़ें। उसकी बातों से यह बात साफ जाहिर हो गई थी।
जब अप्रैल में दरवेश ने उस चेंबर पर जाना छोड़ दिया, जहां कभी मनीष और वह साथ साथ बैठते थे, तो साफ हो गया कि रिश्ते में खटास आ गई है। दूरियां बहुत बढ़ चुकी थीं। तीन महीने से कई लोग प्रयास में लगे थे कि दोनों के बीच गिले शिकवे दूर हों और वे फिर से घनिष्ठ हो जाएं।
दूरियां बढ़ चुकी थीं, लेकिन दरवेश मनीष से झगड़ा नहीं चाहती थीं। उधर, मनीष के कई करीबी लोग उसे समझा रहे थे कि इस तरह खफा होकर नहीं रहते। दरवेश सुलह चाह रही थीं। बुधवार को उनके कहने पर मनीष को बुलाया गया था। वह आया तो लोगों को लगा कि सारे गिले शिकवे दूर हो जाएंगे, कोई क्या जानता था कि ऐसी वारदात हो जाएगी।