हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने ममता बनर्जी के सामने रखीं छह शर्तें, माफी मांगने को भी कहा
देशभर में हडताल पर हैं डॉक्टर - फोटो : bharat rajneeti
- पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों का आंदोलन देश भर में फैला
- बंगाल के साथ-साथ दिल्ली, मुंबई, केरल समेत देश के कई इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
- एम्स के डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मिला, हेलमेट पहनकर काम कर रहे हैं डॉक्टर
- आरजी मेडिकल के 18 डॉक्टरों का इस्तीफा, हड़ताल का मामला अदालत पहुंचा
डॉक्टरों पर हिंसा के खिलाफ नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल दार्जिलिंग के 119 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया।
हड़ताली डॉक्टरों ने अपना आंदोलन वापस रखने रखने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने छह शर्तें रखी हैं। इनमें ममता बनर्जी का बिना शर्त माफी मांगना भी शामिल।
वहीं, आंदोलनकारी डॉक्टरों के समर्थन में शुक्रवार को कोलकाता शहर के कई प्रबुद्ध लोग भी आ गए और उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गतिरोध का समाधान निकालने का अनुरोध किया। फिल्मकार अपर्णा सेन, कलाकार कौशिक सेन, संगीतकार देवज्योति मिश्रा और कई वरिष्ठ डॉक्टर हड़ताली डॉक्टरों से मिलने एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल गए।
अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित कराए जाने की मांग की है। इस संबंध में सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किए जाने का निर्देश जारी करने की मांग की।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सोमवार 17 जून को डॉक्टरों की देशव्यापी हड़ताल बुलाई।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने प. बंगाल सरकार को डॉक्टरों की हड़ताल के मुद्दे पर दाखिल पीआईएल पर 7 दिन में जवाब देने को कहा। कोर्ट ने ये भी पूछा कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और कहा कि राज्य सरकार को इस समस्या का हल निकालना होगा।
कलकत्ता उच्च न्यायालय में पीपुल फॉर बैटर ट्रीटमेंट के कुणाल साहा ने एक जनहित याचिका दाखिल की है। जिसमें उन्होंने डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित करने, डॉक्टरों और डॉक्टरों की हड़ताल पर पश्चिम बंगाल द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं इसका विवरण अगले शुक्रवार तक मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी। न्यायालय ने डॉक्टरों को हड़ताल खत्म करने के लिए अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया और पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि वह डॉक्टरों को वापस काम पर आने के लिए मनाए।